शहर की शरण स्थली में लगा ताला, जगह-जगह शरण ले रहे लोग
सारण। आग लगने पर कुआं खोदने की कहावत को जिला प्रशासन चरितार्थ कर रहा है। बाढ़ से जब त
सारण। आग लगने पर कुआं खोदने की कहावत को जिला प्रशासन चरितार्थ कर रहा है। बाढ़ से जब तबाही मच गई तो प्रशासन को याद आया राहत एवं बचाव कार्य। जहां लोग रह रहे हैं वहां कोई सुविधा नहीं और जहां पहुंच नहीं पाये वहां शरण स्थली बना दिया गया।
जी हां, संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ को देखते हुए तीन माह पूर्व से जिला प्रशासन द्वारा तैयारी शुरू कर दी गई। बाढ़ के दौरान लोगों को ऊंचे स्थान पर रखने के लिए स्थल तो चिन्हित कर दिए गये। लेकिन वहां पहले से कोई व्यवस्था नहीं की गई। जब अचानक बाढ़ ने तांडव शुरू किया तो लोग अपना शरण लेने के लिए इधर-उधर भागने लगे। जहां जिनको स्थान मिला वहीं जाकर वह रहने लगे। लेकिन प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए वहीं व्यवस्था की गई जहां उसके द्वारा स्थान चिन्हित किया गया था। उसमें भी जब लोग इधर-उधर भाग कर शरण लेने लगे तो वहां पीने के पानी के लिए चापाकल लगाने का निर्देश दिया गया। शौचालय बनाने का निर्देश दिया गया। हालांकि छपरा शहर में बाढ़ की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा शहर में पांच शरण स्थली बनाया गया। लेकिन उस शरण स्थली पर एक भी व्यक्ति नहीं पहुंचा और उसमें ताला बंद कर दिया गया है।
मंगलवार की सुबह जब बाढ़ पीड़ितों का हाल जाना गया तो पीड़ितों के बीच तीन दिन बाद भी राहत एवं बचाव कार्य शुरू करना तो दूर की बात थी। कोई अधिकारी भी उनका दर्द जानने के लिए नहीं पहुंचा था। शहर के वार्ड संख्या एक में स्थित नाका नंबर छह में जीतू राय, लटर राय, सुखल राय, साधु राय शरण लिये हुए हैं। जीतू राय ने बताया कि एक लाख से अधिक की संपति का नुकसान हो गया है। हम लोगों के पास 30 पशु हैं। हम लोगों को राहत मिलना तो दूर यहां कोई पूछने तक नहीं आया है। इसी तरह की स्थिति नवीगंज के वार्ड नंबर सात में स्थित नाका नंबर पांच की है। यहां करीब 50 परिवार शरण लिये हुए हैं। इनके पास एक सौ से अधिक मवेशी है। लेकिन इन्हें राहत एवं बचाव के नाम पर कुछ भी नहीं मिला। स्थानीय मुहल्ला वासियों द्वारा अपने-अपने घरों से इन लोगों को भोजन पानी की व्यवस्था करायी जा रही है। स्थानीय रविशंकर पांडेय ने बताया कि फोन करने पर कोई भी अधिकारी फोन नहीं उठा रहा है। नवीगंज बीन टोली के लोग पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। नवीगंज में अल्पसंख्यक छात्रावास के समीप खाली स्थान में सैकड़ों लोग शरण लिये हुए हैं, लेकिन तीन बाद भी वहां राहत एवं बचाव का कार्य नहीं शुरू हुआ। महिलाएं, बच्चे, वृद्ध तथा पशु भोजन के लिए तड़प रहे हैं। आजतक उन्हें को देखने तक नहीं गया। शहर के कटरा नेवाजी टोला में बाढ़ से पचास घर से अधिक परिवार तबाह है। कोई जनक यादव बालिका उच्च विद्यालय में तो कोई एसडीएस कालेज में शरण लिये हुए हैं। लेकिन इन लोगों को राहत पहुंचाना तो दूर की बात है, कोई पूछने वाला भी नहीं है। जबकि वहां के स्थानीय लोग वरीय अधिकारियों को फोन पर इन बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने की मांग कर रहे हैं। चारों तरफ जिला प्रशासन के प्रति लोगों का गुस्सा देखने को मिला।
इस संबंध में नगर परिषद क्षेत्र के नोडल अधिकारी सह कार्यपालक अधिकारी अंजेय राय ने बताया कि शहर में आने वाली बाढ़ को देखते हुए पांच शरण स्थली बनायी गई है। शहर में बाढ़ नहीं आने के कारण लोग शरण स्थली में नहीं पहुंचे। जिसकी वजह से वहां ताला बंद है।