अब बेढ़ी की बजाए धातु से बनी कोठिला इस्तेमाल करेंगे सारण के किसान
जासं, छपरा : सारण। जिले के किसानों को स्मार्ट बनाने के लिए कृषि विभाग कई योजनाओं पर क
सारण। जिले के किसानों को स्मार्ट बनाने के लिए कृषि विभाग कई योजनाओं पर काम कर रही है। अन्न भंडारण हेतु किसानों को अब बांस की बेढ़ी और मिट्टी से बने कोठी से जल्द निजात मिलने वाली है। उन्हें धातु से बने कोठिला उपलब्ध कराई जाएगी। इस कोठिला की अनाज धारण की क्षमता पांच ¨क्वटल है। यानि चार फीट गहरे इस धातु की कोठिला में किसी भी प्रकार के पांच ¨क्वटल तक अनाज सुरक्षित रख सकते हैं। सबसे बड़ी खूबी यह है कि इस धातु कोठिला को किसान एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जा सकते हैं। धातु के बने होने के कारण कोठिला पानी व हवा से भी पूर्ण सुरक्षित रहेगा। जिला कृषि कार्यालय परिसर में धातु कोठिला का निर्माण युद्ध स्तर पर चल रहा है। निर्माण पूर्ण होने के बाद मांग के अनुसार इसे सभी प्रखंडों में आपूर्ति कर दी जाएगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार धातु कोठिला प्राप्त करने के लिए किसानों को प्रखंड कार्यालय में आवेदन करना होगा। आवेदन स्वीकृत होने के बाद किसानों को अनुदानित मूल्य पर कोठिला उपलब्ध करा दी जाएगी। विभागीय सूत्रों ने बताया कि प्रति धातु कोठिला की कुल कीमत 2029 रुपये निर्धारित है। लेकिन अनुसूचित जाति के किसानों को यह मात्र 893 रुपये में उपलब्ध करा दी जाएगी। जबकि सामान्य जाति के किसानों को धातु कोठिला प्राप्त करने के लिए 1217 रुपये अदा करने होंगे। दरअसल यह कीमत अनुदान की राशि घटाने के बाद भुगतान करना पड़ेगा। सामान्य जाति के लिए 812 रुपया प्रति धातु कोठिला अनुदान दिए जाने का प्रावधान है जबकि अनुसूचित जाति के लिए अनुदान की राशि 1217 रुपया तय है। धातु कोठिला बनाने के लिए सराय सत्तर मनेर, पटना के आकृति स्टील वर्क्स को अधिकृत किया गया। कंपनी के मजदूर बनाए गए धातु कोठिला को अंतिम रूप देने में लगे हैं।
कैसे करें आवेदन
कोठिला प्राप्त करने के लिए किसानों को आवेदन पत्र के साथ जमीन का मालगुजारी रसीद, मतदाता पहचान पत्र की छाया प्रति, दो पासपोर्ट साइज फोटो के साथ प्रखंड कृषि कार्यालय में जमा करने होंगे।
धातु की कोठिला प्रयोग करने से किसानों का अनाज सुरक्षित रहेगा। भूमि बर्बादी रूकेगी तथा घर व दरवाजा साफ सुथरा रहेगा। कोठिला में अनाज रखना व निकालना सरल है। चूहों के आक्रमण से भी जनाज या अन्य वस्तु सुरक्षित रहेगी। बेढ़ी की अपेक्षा लागत कम होगी।
जयराम पाल
जिला कृषि पदाधिकारी, सारण