छपरा में लालू-नीतीश की दोस्ती का होगा लिटमस टेस्ट
जासं, छपरा : सांसद चुने जाने के बाद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के त्यागपत्र देने से रिक्त हुई छपरा विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तिथि घोषित हो चुकी है। सूबे के दस विधानसभा क्षेत्रों में 21 अगस्त को होने वाले उपचुनाव में छपरा भी शामिल है।
बीते लोकसभा चुनाव में सारण संसदीय क्षेत्र अन्तर्गत आने वाले छपरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी को करीब 38 हजार मतों की निर्णायक लीड मिली थी। राजद,खासकर लालू प्रसाद का गढ़ समझे जाने वाले छपरा में राबड़ी देवी के मुकाबले भाजपा प्रत्याशी रूडी को मिली भारी बढ़त से बड़े-बडे़ राजनीतिक पंडितों का भी गुणा-भाग फेल हो गया था। तब नमो लहर पर सवार रूडी को केवल छपरा में ही 81 हजार से ज्यादा मत मिले थे जबकि राजद उम्मीदवार व लालू प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी को 43 हजार ही वोट मिल सका था।
यही कारण है कि आज छपरा विधानसभा सीट भाजपा का 'हाट केक' बन गयी है। बेशक, आज राजनीतिक परिस्थितियां काफी बदली हुई है।
अबकी बार मोदी सरकार का नारा पुराना पड़ चुका है। नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन चुके हैं। अब यह लड़ाई विधानसभा के लिए होगी। उपचुनाव में मुद्दा और नेतृत्व दोनों बदला रहेगा। लेकिन इसके बावजूद लालू-नीतीश की दोस्ती या कहें राजद-जदयू के संभावित गठबंधन का लिटमस टेस्ट उपचुनाव में होगा। लोकसभा चुनाव के बाद पल-पल बदल रही बिहार की राजनीति में अब यह बात साफ हो चुकी है कि उपचुनाव में राजद- जदयू एक साथ मैदान में उतरेंगे। साथ ही यह भी साफ है कि छपरा से राजद का ही उम्मीदवार होगा। भले इस उपचुनाव का परिणाम वर्तमान मांझी सरकार की सेहत पर अपना कोई विशेष असर नहीं डाले लेकिन भविष्य की राजनीति का दशा व दिशा जरूर तय करेगा।
2015 में होने वाले विधानसभा चुनाव के ट्रेड के साथ-साथ नई दोस्ती पर भी जनता की राय सामने आयेगी। एनडीए की तरफ से लालू-नीतीश की दोस्ती को जंगलराज व सुशासन का मिलन बताया जा रहा है तो राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद इसे मंडल बनाम कमंडल की लड़ाई बता रहे हैं। उपचुनाव में यह देखना काफी मजेदार होगा कि पिछले करीब दो दशक से विरोधी रहे लालू-नीतीश की दोस्ती को छपरा की जनता किस रूप में लेती है।
राजद-जदयू के साथ आने से विरोधियों का होगा सफाया : प्रभुनाथ
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जासं, छपरा : राजद के वरिष्ठ नेता व महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह ने कहा है कि अगर राजद व जदयू एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो विरोधियों का निश्चित रूप से सफाया हो जायेगा। श्री सिंह ने कहा कि दोनों दलों के साथ लड़ने व सीटों से संबंधित फैसला तो नेतृत्व तय करेगा लेकिन उनका मानना है कि अगर साथ लड़े तो अच्छा होगा। पूर्व सांसद ने कहा कि जिन उम्मीदों के साथ केन्द्र में नयी सरकार के लिए जनता ने वोट दिया उसपर वह खरा नहीं उतर रही है। न तो महंगाई घटी और न ही किसानों को कोई राहत मिल रही है। नौजवानों को भी रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा है। अच्छे दिन लाने के वादे के साथ सत्ता में आयी पार्टी ने आम लोगों को ठगने का काम किया।