योग प्रकृति से जुड़ा आसन : प्रधानाचार्य
समस्तीपुर । अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर के प्रांगण में 12 बिहार बटाि
समस्तीपुर । अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर के प्रांगण में 12 बिहार बटालियन द्वारा योग शिविर लगाया गया। कर्नल बालाजी दयाल डी के नेतृत्व में लगभग 700 एनसीसी कैडेट के अलावा जेसीओ, एनसीओ, एनसीसी पदाधिकारी व सिविल स्टाफ के अलावा स्थानीय लोग शामिल रहे। शिविर का उद्घाटन बीआरबी कालेज के प्राचार्य शंभू कुमार ने किया। योग शिविर में भाग ले रहे कैडेट को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि योग प्रकृति से जुड़ा आसन है। आज हम सब की जीवन शैली की वजह से तन और मन दोनों से स्वस्थ नहीं रह पाते। जिसके कारण शारीरिक, मानसिक व अनेक प्रकार की समस्याएं होती है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ्य मन का वास होता है। जिसे हम योग के माध्यम से पा सकते है। योग से रोग को भगाया जा सकता है। योग प्रशिक्षिका वर्षा आनंद ने योग के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए विभिन्न आसनों के बारे में बताया। साढ़े सात बजे योग शिविर की शुरूआत प्रार्थना से हुई। लगभग 45 मीनट चले इस शिविर में ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अर्द्धचक्रासन, त्रिकोणासन, भद्रसान, वज्रासन, मकरासन, शलभासन आदि के अलावा कपालभाती, प्राणायाम, नाड़ी शोधन, अनुलाम विलोम, शीतली, भ्रामरी, ध्यान, संकल्प शांति पाठ की जानकारी दी गयी। योग के महत्व के बारे में बताते हुए श्रीमति आनंद ने स्वस्थ्य रहने की जानकारी योग के माध्यम से दी। वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मंगलवार को पूर्व मध्य रेलवे समस्तीपुर मंडल द्वारा इंद्रालय स्टेडियम में योग कार्यक्रम हुई। इस दौरान पतंजलि के मुख्य योग प्रशिक्षक राम कुमार ¨सह ने विभिन्न आसनों व योग की जानकारी दी। योग प्रशिक्षक ने बताया कि योग का जब जीवन से संयोग होता है, तो प्रभाव चमत्कारी होते है। बिना किसी मूल्य के अनमोल लाभ देने वाली इस प्राचीन भारतीय विधा ने इसे अपनाने वालों को सुख और स्वास्थ्य का वरदान दिया है। योग मन और शरीर यानी स्वास्थ्य से जुड़ा है, जबकि अध्यात्म दिनचर्या और जीवन से जुड़ा है। योग और प्रणायाम करना काफी जरुरी है। उन्होंने योगासन के लाभ व गुण के बारे में भी विस्तार से बताया। मौके पर मंडल रेल प्रबंधक सुधांशु शर्मा, मंडल वाणिज्य प्रबंधक यूएस जायसवाल, स्टेशन प्रबंधक सतीश चंद्र श्रीवास्तव सहित आदि अधिकारी मौजूद रहे।