Move to Jagran APP

वाणिज्य कर पदाधिकारी की मिली भगत से 40 लाख का चूना

वाणिज्यकर विभाग के कर निर्धारण पदाधिकारियों की व्यवसायियों पर विशेष मेहरबानियों के फलस्वरूप राजकीय कोष में कर की राशि का कम भुगतान होने का मामला समस्तीपुर समेत अन्य जिलों में उजागर हुआ है।

By Edited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 12:23 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 12:23 AM (IST)

समस्तीपुर । वाणिज्यकर विभाग के कर निर्धारण पदाधिकारियों की व्यवसायियों पर विशेष मेहरबानियों के फलस्वरूप राजकीय कोष में कर की राशि का कम भुगतान होने का मामला समस्तीपुर समेत अन्य जिलों में उजागर हुआ है। भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक द्वारा मार्च 2015 के प्रतिवेदन में इसका खुलासा किया गया है। मेहरबानियों की इस बहती गंगा में समस्तीपुर के व्यवसायी भी खूब लाभान्वित हुए हैं। लेखा परीक्षकों द्वारा समस्तीपुर कर अंचल सहित कुल आठ अंचलों के 844 व्यवसायियों के अभिलेखों-रिटर्न की जांच में पता चला कि इनमें से स्व कर निर्धारण करने वाले 15 व्यवसायियों से वर्ष 2011-12 व 2012-13 के दौरान कुल 4.74 करोड़ रुपये का कर भुगतान किया गया जो कि स्वीकृत कर से 80 लाख रुपये कम थे। इन रिर्टनों की संवीक्षा वाणिज्य कर अंचल के स्तर पर अब तक नहीं की गई। जिसके फलस्वरूप राजकीय कोष ब्यान सहित 90 लाख की राशि से वंचित है। कर की इस राशि में से 40 लाख रुपये का कर तो समस्तीपुर के केवल तीन व्यववसायिक प्रतिष्ठानों के द्वारा कम भुगतान किया गया। बाकी व्यवसायियों के रिटर्न की तो जांच ही नहीं की गई और इस प्रकार उन्हें कर भुगतान न करने की भरपूर छुट मिली। इसमें से तारा ऑटोमोबाइल्स ने अकेले 10 लाख 98 हजार 435 एवं आठ लाख 75 हजार 973 रुपये का कम भुगतान किया। जबकि इससे चार लाख 20 हजार एवं 1 लाख 83 हजार से अधिक की ब्याज वसूली होती। इसी प्रकार महावीर इंटरप्राइजेज ने 1 लाख 63 हजार 780 का कम भुगतान किया। वहीं स्टार इक्यूपमेंटस नामक संस्थान ने 10 लाख 97 हजार 437 रुपये का कम भुगतान किया। जिससे दो लाख ब्याज की राशि भी विभाग को मिलती।

loksabha election banner

नियमानुसार कर निर्धारण पदाधिकारियों को रिटर्न की संवीक्षा करने तथा कर भुगतान के साक्ष्य को देखने एवं तदनुसार व्यवसायियों को नोटिस करना अपेक्षित था। वास्तव में संवीक्षा नहीं कर कर निर्धारण पदाधिकारी व्यवसायियों के प्रिय पात्र बने रहना चाहते हैं।

इनसेट

परिवहन विभाग की कारगुजारियों ने कराया 84 लाख का नुकसान

समस्तीपुर : परिवहन विभाग से नये वाहनों का निबंधन कराना काफी दुरूह कार्य है। इसका खुलासा स्वयं महालेखाकार की रिपोर्ट में किया गया है। केन्द्रीय मोटर वाहन नियमावली 1989 के तहत यह प्रावधान है कि आवेदन प्राप्ति के 30 दिनों के अंदर वाहन से संबंधित निबंधन प्रमाण पत्र वाहन मालिक को सिपुर्द कर दिया जाए। लेकिन समस्तीपुर जिला परिवहन कार्यालय की इस सुस्ती के कारण तथा संबंधित नियमावली के उल्लंघन के फलस्वरूप राजकीय कोष में हो रहे कम भुगतान पर भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक द्वारा हाल में ही जारी प्रतिवेदन संख्या तीन में तीखी प्रतिक्रिया दी है। निबंधन पदाधिकारियों ने वाहन के निबंधन हेतु आवेदनों के लंबित रहने का अनुश्रवण नहीं करने से कर की पूरी वसूली नहीं होने की मुख्य वजह बताया है। इस कारण राजकीय कोष में कम राशि जमा हो पायी।

लेखा परीक्षकों द्वारा समस्तीपुर जिला परिवहन कार्यालय सहित कुल छह जिला परिवहन कार्यालयों में लंबित पड़े निबंधन अभिलेखों की जांच के दौरान पाया गया कि यहां केवल कई एवं दिसंबर 14 के बीच निबंधन के लिए दिये गए 482 आवेदनों का अबतक निष्पादन न हो सका। इसके फलस्वरूप परिवहन विभाग को लगभग 84 लाख रुपये का नुकसान हुआ। इसकी मुख्य वजह समय पर कर का संग्रहण नहीं होना बताया गया है। तुर्रा यह कि समस्तीपुर परिवहन कार्यालय समेत छह अन्य कार्यालयों ने महालेखापाल के कार्यालय में अक्टूबर 15 तक अपनी स्थिति भी स्पष्ट नहीं की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.