प्रभु भरोसे रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा
समस्तीपुर। स्थानीय रेलवे जंक्शन और प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा के बुनियादी इंतजाम नहीं हैं। यदि बात बिगड़
समस्तीपुर। स्थानीय रेलवे जंक्शन और प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा के बुनियादी इंतजाम नहीं हैं। यदि बात बिगड़ जाए, वारदात हो जाए तो ऐसी हालत में रेल पुलिस को डंडे की चोट से ही किसी तरह सुरक्षा की खानापूरी करनी पड़ती है। स्थानीय जंक्शन का गुरुवार को दैनिक जागरण की टीम ने जायजा लिया। यहां ड्यूटी के नाम पर महज खानापूरी की जा रही थी। रेलवे सुरक्षा बल के जवानों द्वारा अधिकतम समय जंक्शन से गुजरने वाली ट्रेनों की सील चे¨कग में ही गुजर रहा है। बल की कमी की ओर वरीय अधिकारी ध्यान देना मुनासिब नहीं समझ रहे है। जंक्शन पर लगा 17 सीसीटीवी कैमरा में अधिकतर खराब ही चल रहा है। यदि किसी तरह की अप्रिय घटना हो जाए तो संदिग्धों को ढूंढ़ने में भी मुश्किल होगी। जबकि आए दिन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठते रहे है। बावजूद इसके रेलवे प्रशासन इससे सबक नहीं ले रहा। पॉकेटमार, छिनतई करने वाले गिरोह, चोर - उचक्के और सड़क छाप मजनुओं की हरकत अक्सर होती रहती है। लेकिन ऐसे तत्वों से निपटने के लिए रेल पुलिस के पास हथियार नहीं है। डंडे के सहारे ही उन पर यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। रेलवे स्टेशन एवं रेलखंड के अन्य दूसरे स्टेशनों की स्थिति सुरक्षा के मामले में लचर है। यहां स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा का कोई विशेष इंतजाम नहीं किया गया है।
चारो ओर से खुला है रेलवे स्टेशन
स्टेशन पर चारों तरफ से प्रवेश किया जा सकता है। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा की बात करना बेमानी लगता है। इस रास्ते से असामाजिक तत्वों का आना-जाना लगा रहता है। उसकी गतिविधि प्लेटफॉर्म और रेलवे परिसर में अक्सर होत रहती है। पूर्व के दिनों में असामाजिक तत्वों द्वारा कई अप्रिय घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है। इसे लेकर रेलवे प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया था, लेकिन चहारदीवारी बनाने के मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
निहत्थे जवान करते हैं यात्रियों की सुरक्षा
स्टेशनों पर यात्रियों के साथ पॉकेटमारी, छिनतई की घटनाएं होती है। यात्री अपने साथ हुई घटना की सूचना जीआरपी और आरपीएफ को देते हैं, लेकिन निहत्थे आरपीएफ सिर्फ डंडा पटक कर रह जाती है। यही हाल राजकीय रेल पुलिस द्वारा ड्यूटी पर लगाए गए जवानों के साथ भी रहता है। ड्यूटी करने वाले जवानों के पास सिर्फ लाठी उपलब्ध है। बलों के शस्त्र के साथ ड्यूटी पर नहीं लगाया जाता है। असामाजिक तत्वों का आना-जाना लगा रहता है। सुरक्षा व्यवस्था निहत्थे आरपीएफ जवानों के हवाले है। डंडे के सहारे अवांछित तत्वों से निपटा जाता है।