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.. तो ¨जदगी की खुराक की जगह बेच रहे जहर

समस्तीपुर। जिले में इन दिनों जिदंगी की खुराक की जगह जहर बेचने का धंधा चल रहा है। शायद यही कारण की दव

By Edited By: Published: Tue, 02 Feb 2016 12:01 AM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2016 12:01 AM (IST)
.. तो ¨जदगी की खुराक की जगह बेच रहे जहर

समस्तीपुर। जिले में इन दिनों जिदंगी की खुराक की जगह जहर बेचने का धंधा चल रहा है। शायद यही कारण की दवा की पूरी कार्टन खाने के बाद भी मर्ज कम होने की जगह बढ़ता ही चला जाता है। उल्टे रोगी कई अन्य बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। यह सब नकली दवा का कमाल है। ऐसे कारोबारी इन दवाओं का बिल भी नहीं देते हैं। हालांकि काली दवा कारोबारियों पर शिकंजा कसना ड्रग विभाग ने शुरू कर दिया है। इस कड़ी में समस्तीपुर में पहली बार ड्रग विभाग का अनुज्ञापन पदाधिकारी ने अवैध गोदाम संचालकों पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिससे दवा के अवैध कारोबारियों के बीच हड़कंप मच गया है। बता दें कि छापेमारी में दवा गोदामों में भारी मात्रा में बिना बिल की दवा बरामद हुई थी। जिससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिना बिल की दवा नकली हो सकती है। दवा दुकानों से दवा लेने पर हर हाल में पक्का बिल लेने की जरूरत है। जिससे स्टैंडर्ड दवाएं मिल सकेगी। वहीं बिना बिल की दवा नकली भी हो सकती है।

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खुलेआम हो रहा नकली दवाओं का करोबार

जिस तरह से बाजार में नकली व सब स्टैंडर्ड दवाओं को खुलेआम बेचा जा रहा है। उससे देख यह कहा जा सकता है कि लोगों में होनेवाली बीमारियां मजबूत नहीं हुई है, बल्कि नकली दवाओं के कारण ही बीमारी ठीक नहीं हो पा रही है। डॉक्टर मरीज को निजी नर्सिंग होम में देखें या अपने क्लिनिक में, दवा उनके परिसर या उनके द्वारा बताई गई दुकानों पर ही मिलती है। हालांकि अस्पतालों में मरीजों का लोड बढ़ा है और दवा का कारोबार भी, लेकिन इसका नुकसान सिर्फ मरीजों को ही भुगतना पड़ रहा है। एक तो मरीज महंगी दवा खरीद रहे हैं और वह भी उन्हें नकली मिल रही है। ऐसे में कहां से बीमारी ठीक होगी।

धड़ल्ले से बिना बिल की बिक रही दवाएं

ड्रग विभाग की छापेमारी में गोदाम व दुकानों से भारी मात्रा में बिना बिल की दवा बरामद हुई है। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि नकली दवाओं का खेप धड़ल्ले से उतर रहा है। हालांकि, एक ही कंपनी के दो प्रकार की दवा गोदामों में पाए गए थे। जिसमें कुछ दवाओं का तो बिल उपलब्ध है जबकि उसकी कंपनी के कुछ दवाओं का बिल उपलब्ध नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि काली दवा के कारोबारियों का नेटवर्क इतना बड़ा है कि नकली दवाओं का निर्माण भी कराया जा रहा है।

बिना क्वालिटी टेस्ट के भी बिक रही दवाएं

हर दिन एक नयी कंपनी अपनी दवाएं बेचने के लिए पहुंच जाती है। उसका क्वालिटी टेस्ट कहां हुआ है, इसको लेकर कोई बात नहीं करता है। निजी नर्सिंग होम के डॉक्टर दवा के साथ दुकान का नाम भी लिखते हैं, जिसके कारण मरीजों को मजबूरन वहीं से दवा लेनी पड़ती है। इसकी पड़ताल की गयी, तो मालूम चला कि अगर डॉक्टर दवा दुकान के बारे में नहीं बतायेंगे, तो वह दवा मरीज को मिल नहीं पाएगी। वह दवा हर जगह उपलब्ध नहीं रहती है। इन सभी अस्पतालों में एमआर का दबदबा इतना है कि वे जब चाहेंगे, अपनी दवा लिखवा या बदलवा सकते हैं।


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