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समय के साथ शिक्षा नीति में बदलाव जरूरी

समस्तीपुर। समय के साथ-साथ शिक्षा नीति में भी बदलाव आवश्यक है। हम ऐसी शिक्षा पद्धति तैयार करें कि अन्

By Edited By: Published: Sun, 31 Jan 2016 12:00 AM (IST)Updated: Sun, 31 Jan 2016 12:00 AM (IST)
समय के साथ शिक्षा नीति में बदलाव जरूरी

समस्तीपुर। समय के साथ-साथ शिक्षा नीति में भी बदलाव आवश्यक है। हम ऐसी शिक्षा पद्धति तैयार करें कि अन्य देशों के लोग भी भारत में शिक्षा ग्रहण करने आएं। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के पूर्व कुलानुशासक डा. दयानीधि राय ने कही। शहर के केशव नगर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर परिसर में नई शिक्षा नीति-2015 विषयक विचार गोष्ठी को वे सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने तकनीक एवं रोजागारोन्मुख शिक्षा व्यवस्था पर बल देते हुए कहा कि इससे युवाओं में हो रहे भटकाव को रोका जा सकता है। डा. राय ने नई शिक्षा नीति में परीक्षा प्रणाली को समाप्त करने की व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा करते हुए कहा कि मेधा का फिल्टराइजेशन आवश्यक है। छात्र रूपी समुद्र से छान कर ही मोती को निकाला जा सकता है। वहीं विद्या भारती के क्षेत्रीय मंत्री सह लोक शिक्षा समिति के प्रदेश सचिव दिलीप कुमार झा ने तीस वर्षों से चल रहे शिक्षा नीति में बदलाव की आवश्यकता बताते हुए कहा कि शिक्षा के प्रव‌र्त्तन से ही देश को बदला जा सकता है और इससे ही नकारात्मक सोच भी समाप्त होगा। उन्होंने शिक्षालय को भोजनालय से दूर रखने पर बल दिया तथा विद्यालयों में गुणवत्ता के साथ-साथ चरित्रवान शिक्षकों की नियुक्ति पर बल दिया। चांद मुसाफिर ने कहा कि शिक्षा में सुधार की जिम्मेवारी केवल सरकार ही नहीं, बल्कि समाज का भी है। समाज यदि शिक्षकों को सम्मान देगा तो निश्चित रूप से बच्चे संस्कारित होंगे। इसके अलावा डा. गौरी शंकर ¨सह, डा. बीके तिवारी, डा. अमरनाथ झा, डा. प्रदीप पूर्वे, डा. शिवव्रत महतो, सचिन्द्र पाल एवं मुकेश राय आदि ने भी अपना विचार रखा। डा. रामविलास राय की अध्यक्षता में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर प्रारंभ हुए विचार गोष्ठी का संचालन डा. परमानन्द मिश्र तथा धन्यवाद ज्ञापन महादेव ठाकुर एवं दिनेश्वर प्रसाद ¨सह द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इससे पूर्व छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना के बाद प्रधानाचार्य वाणीकांत झा ने आगत अतिथियों का परिचय उपस्थित शिक्षा प्रेमियों से कराया तथा विद्यालय परिवार की ओर से सभी का पाग चादर से स्वागत भी किया गया।


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