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हर साल गुजर रहा आशियाने की आस में

समस्तीपुर। कल्याणपुर प्रखंड के बागमती के कटाव पीड़ितों का हर साल आशियाने की आस में गुजर रहा है। प्रत्

By Edited By: Published: Sat, 03 Oct 2015 12:32 AM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2015 12:32 AM (IST)
हर साल गुजर रहा आशियाने की आस में

समस्तीपुर। कल्याणपुर प्रखंड के बागमती के कटाव पीड़ितों का हर साल आशियाने की आस में गुजर रहा है। प्रत्येक चुनाव में सोचते हैं इस बार विकास होगा। लेकिन उनके सपने रेत के घर की तरह..। यहां के लोग अब से पांच दशक पहले बागमती के कटाव से विस्थापित हुए थे। तब से लेकर विस्थापित ¨जदगी जी रहे हैं। । इनकी ¨जदगी आज भी खुले आसमान के नीचे सरकारी भूमि के किसी टुकड़े व बांध पर ही कट रही है। समस्या को अपने-पराए और राजनीति के उच्च पायदान तक पहुंचाया। किन्तु वोट बैंक के तौर पर हमेशा इनका इस्तेमाल करने वालों ने इनकी पीड़ा को घटाने की कोशिश नहीं की। कभी -कभी समाज सेवियों द्वारा पहल अवश्य की गई। इनकी तकदीर की दास्तां कागजों पर सिमट कर रह गई । कई किसानों की खेती व बागीचे भी उजर गए। नामापुर पंचायत के पूर्व सरपंच बघला निवासी पवित्र पांडेय कहते हैं कि कटाव रोकने के लिए कई बार चुनाव में आए बड़े से पहल करने की पेशकश की गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। नामापुर में ईंट को जाली में डालकर कटाव रोकने की कोशिश हुई वह भी कटाव में चपेट में आकर नदी के गर्भ में विलीन हो गई। इनका के आम और लीची के बाग कटाव की चपेट में आकर नदी में बह गए। कटाव का दंश झेलने वाले ये अकेले किसान नहीं हैं। विकास की चाहे जो भी दावे किए जा रहे हो परन्तु सच्चाई यहां देखने से पता चल जाता है कि आज भी करीब 250 परिवार आवास की आस मे आसमान के नीचे ¨जदगी बसर करते हैं। यहां के लोगों को मलाल इस बात का है कि जब अपनों ने विधानसभा में कदम रखा तो फिर समस्या जस की तस क्यों बनी रही । कलौजर पंचायत में सबसे अधिक 187 परिवार कटावा विस्थापित हैं। वहीं नामापुर पंचायत में तकरीबन 116, तीरा में 30 तथा खरसंड पंचायत के ढाव गांव में 10 परिवार कटाव से विस्थापित है।


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