बच्चों के स्वास्थ्य पर दें विशेष ध्यान
समस्तीपुर। मां और शिशु का रिश्ता अनमोल है। इस रिश्ते को मां से बेहतर और कोई नही समझ सकता। जन्म लेते
समस्तीपुर। मां और शिशु का रिश्ता अनमोल है। इस रिश्ते को मां से बेहतर और कोई नही समझ सकता। जन्म लेते ही शिशु की देखभाल बहुत सावधानी से होनी चाहिए। बच्चा जब रोता है तो यह समझा जाता है कि उसे काई तकलीफ है, लेकिन ऐसा नहीं है। अपने नवजात शिशु की देखभाल करने के समय काफी ध्यान रखने की जरूरत है। नवजात शिशु की सेहत के लिए मां का दूध सर्वोत्तम है। मां को अपने बच्चे को तब तक दूध पिलाना चाहिए, जब तक वह पूरी तरह से संतुष्ट न हो जाए। बच्चों के रोने पर यह जरूरी नहीं है कि उसे तकलीफ है। रोना बच्चे के लिए एक अच्छा अभ्यास भी है। उसके रोने पर उसे मारें या डाटें नहीं, बल्कि उसे प्यार से चुप कराएं। यदि ज्यादा रोएं तो डाक्टर को तुरंत दिखाएं। सामान्यत: बच्चों के पेट में तकलीफ होने से भी वे रोते हैं।
--------------------मालिश से बच्चों का होता है विकास
बच्चे की मालिश सावधानीपूर्वक की जानी चाहिए। मालिश से बच्चों का शारीरिक विकास होता है। मालिश जैतून का तेल, बादाम का तेल या बेबी ऑयल से करें। मालिश ज्यादा भारी हाथों से नहीं, हल्के हाथों से करें।
-------------मां का दूध सर्वोत्तम आहार
बच्चे के संतुलित आहार में मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है। इसके अलावा गाय का दूध भी पिला सकते हैं। बच्चे को मिसा हुआ केला, उबला और सेब का गूदा, दूसरे फलों का जूस, दलिया, चावल और शक्कर, नमक, पानी का मिश्रण आदि दिया जाना चाहिए। यह अहार बच्चे के 6-7 महीने का होने पर शुरू करें। दाल का पानी भी लाभदायक होता है। शक्कर, पानी व नमक का मिश्रण बच्चे को डायरिया से बचाता है। बच्चे के स्वास्थ्य सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखने की जरुरत है। बच्चे को बीच-बीच में डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। उसके वजन पर ध्यान दें। बच्चे को लगने वाले टीकों का ध्यान रखें। उसके जन्म से लेकर लगने वाले टीकों की सूची संभालकर रखें।
डा. ब्रजेश कुमार
नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ,