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.. और शिक्षक की भूमिका आ गए एएसपी

जासं, समस्तीपुर : करीब दिन के साढ़े ग्यारह बजे थे। प्रशिक्षु आईपीएस आनंद कुमार की सरकारी गाड़ी सीधे ह

By Edited By: Published: Tue, 06 Jan 2015 10:00 PM (IST)Updated: Tue, 06 Jan 2015 10:00 PM (IST)
.. और शिक्षक की भूमिका आ गए  एएसपी

जासं, समस्तीपुर : करीब दिन के साढ़े ग्यारह बजे थे। प्रशिक्षु आईपीएस आनंद कुमार की सरकारी गाड़ी सीधे हकीमाबाद पंचायत के वार्ड पांच पर पहुंची। मुख्य सड़क पर ज्योंही उनकी गाड़ी रूकी। आस-पड़ोस के लोग उस वाहन को देखकर भौंचक। अरे यहां तो कुछ भी नहीं हुआ है। पुलिस क्यों पहुंची? लेकिन यह क्या पैदल ही वे आम की गाछी की ओर जा रहे थे। अचानक से वे वहां चल रहे एक सरकारी विद्यालय पर पहुंचे। जहां पूरी तन्मयता से शिक्षण कार्य जारी था। एह ही साथ बैठे बच्चे दो अलग-अलग तरफ विभक्त बने थे। उनकी सरकारी वर्दी को देख सब परेशान। आखिरकार वे यहां क्यों आए? हारकर एएसपी साहब को इस बात का दिलासा दिलाना पड़ा कि हम आपलोगों से मिलने आये हैं। उन्होंने वर्ग कक्ष में जाकर बारी-बारी से वहां उपस्थित छात्रों से बातें की। उनसे उनकी पाठ्य पुस्तक से संबंधित सवालों को लेकर उनके मानसिक स्तर को भी टटोला। एएसपी की सहृदयता से सभी बच्चे बाद में उल्लासित हो गए। बाद में बच्चों ने यह आग्रह भी किया कि वे हमें पढ़ाने आया करें। एएसपी ने बच्चों के आग्रह को स्वीकार भी किया। इस बीच युवा समाजसेवी सह भाजपा किसान मोर्चा के प्रांतीय उपाध्यक्ष रामसुमिरन ¨सह भी वहां पहुंचे। वे अपनी गाड़ी में बच्चों के लिए स्वेटर और टोपी लेकर आए थे। एएसपी और समाजसेवी ने वहां मौजूद सभी बच्चों को बारी-बारी से स्वेटर और टोपी प्रदान किया। सभी बच्चे नये वस्त्र पाकर काफी खुश थे। मौके पर विद्यालय की प्रधानध्यापिका कुमारी अर्चना, सहायक शिक्षिका माजरी रूमौल्ड, समाजिक कार्यकर्ता प्रभात कुमार, रंजीत कुमार रंभू, नीरज भारद्वाज, पवन कुमार यादव समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।

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न तन पर गर्म कपड़ा, न विद्यालय की स्थिति अच्छी, पर समझ आम से अलग

राजकीय प्राथमिक विद्यालय हकीमाबाद वार्ड पांच की स्थिति तो कुछ ऐसी थी। मानों किसी किसान का वह पशुघर हो। वहां पढ़ने वाले बच्चे भी कुछ इसी अंदाज में थे। इस ठंड में भी कई बच्चों के शरीर पर वस्त्र नहीं था। किसी का सिर खुला तो किसी का पैर। कोई तो एक गंजी में ही अपने विद्यालय में मौजूद था। पर इस सबके बीच उन छात्रों की वाकपटुता और दिमागी तेज किसी अच्छे-अच्छे स्कूल के बच्चों से कम नहीं था। स्वयं एएसपी ने भी इसका एहसास किया। पुलिस की वर्दी को देख डरे-सहमे बच्चे में से तीन-चार ने धारा-प्रवाह उनके सवालों का जवाब भी दिया। खैर बात चाहे जो भी हो पर उन नौनिहालों ने अपने बीच एक आईपीएस को पाकर और युवा समाजसेवी के द्वारा दिये गए गर्म कपड़ों की अनुभूति ने उन्हें और उद्वेलित कर दिया।


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