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गुरबत ने मां की गोद से छीन लिया कलेजे का टुकड़ा

जासं, रोसड़ा : गरीबी की मार कितनी भयावह होती है। इसका भाव अनुमंडल के शिवाजीनगर प्रखंड अन्तर्गत बल्लीप

By Edited By: Published: Sun, 28 Dec 2014 12:31 AM (IST)Updated: Sun, 28 Dec 2014 12:31 AM (IST)

जासं, रोसड़ा : गरीबी की मार कितनी भयावह होती है। इसका भाव अनुमंडल के शिवाजीनगर प्रखंड अन्तर्गत बल्लीपुर गांव के नौवा पोखर के लोगों के चेहरों पर शनिवार को साफ दिख रहा था। एक साथ यहां के चार युवाओं की मौत ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है। वहीं उनके परिजन खुद को कोश रहे हैं कि घर के चिराग को इस कदर रोटी की चाहत में एवं गरीबी मिटाने के भूख में रोजगार के खातिर परदेश नहीं भेजा होता तो शायद एक साथ इतने लोगों की हंसती-खेलती दुनियां वीरान नहीं होती। कुछ ऐसी बातों को दिल से लगाए लोग आठ आठ आंसू बहा रहे हैं। चारों युवाओं के पिता अपने लाल के अन्तिम दर्शन को दिल्ली रवाना हो चुके हैं। लेकिन तीनों की माता एवं यौवन में ही विधवा बनी पवन की पत्नी की चित्कार से पूरा इलाका गमगीन है। दूसरे दिन भी सुन्देश्वर यादव एवं चन्द्रशेखर यादव के घर पर लोगों का जमावड़ा लगा था। दो-दो बेटे को एक साथ खो चुकी श्यामली देवी के आंख के आंसू रोते-रोते सुख चुके हैं। वहीं तीन नौनिहालों के सर से पिता का साया उठ जाने से बेचैन विधवा चन्द्ररेखा का हाल भी बेहाल है। लगातार चित्कार से गला भी जवाब दे गया है। बावजूद इसके वह चुप होने का नाम नहीं ले रही है। यही हाल अपने जिगर के टुकड़े को खो चुकी शैलो देवी का भी है। बताते चलें कि नौआ पोखर के संतोष यादव, लालटुन यादव, मनोज यादव एवं पवन यादव की दर्दनाक मौत दिल्ली के एक गोदाम में अब से तीन दिनों पूर्व बोरा के नीचे में दब कर हो गई। काश आधे पेट खाकर रह गए होते

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अपने दो-दो लाल को खो चुकी श्यामली देवी चित्कार मारते हुए बस यहीं कहे जा रही थी कि इस कमाई से अच्छा है कि हम आधा पेट खाकर ही जीवन काट लेते। कम से कम दोनों लाल तो मेरे साथ रहते। दोनों बेटों की शादी के अरमान को भी भगवान ने पलक झपकते जला दिया। ग्रामीणों की माने तो श्यामली के पुत्र की शादी की चर्चा भी चल रही थी। वहीं पति को खो चुकी चन्द्ररेखा बस इतना ही रट लगाये जा रही थी कि अब तीनो बच्चा का पालनहार कौन होगा? जबकि मृतक लालटुन की मां शैलो देवी लगातार उपर वाले को ही कोसते हुए कह रही थी कि हे भगवान हमारे परिवार पर यह कैस वज्रपात कर दिया।छठ में आए थे घर सभी

छठ पर्व के बाद काम पर लौटे चारों युवक मनोज, संतोष, लालटुन एवं पवन दीपावली से छठ तक अपने गांव परिवार के साथ थे। छठ के बाद ही चारों अपने काम पर लौटे। मनोज, संतोष एवं लालटुन पर्व के कुछ दिनों के बाद गए, जबकि पवन तो बस इसी माह के प्रथम सप्ताह में दिल्ली लौटा था। लेकिन, यह कौन जानता था कि ये चारों दोबारा फिर किसी पर्व पर घर नहीं आ पाएंगे।

बेटों के अंतिम दर्शन को दिल्ली पहुंचे पिता

असमय काल के गाल में समाए चारों युवकों के पिता एवं परिजन शनिवार की शाम दिल्ली पहुंचे। अबतक चारों का दाह-संस्कार नहीं हो सका है। परिजनों के अंतिम दर्शन के पश्चात शव का अंतिम संस्कार दिल्ली में होगा या घर लाया जाएगा। इसका निर्णय नहीं हो पाया है। बताते चलें कि घटना की सूचना मिलते ही सुन्देश्वर यादव, चन्द्रशेखर यादव, पांचु यादव, संजीत कुमार एवं बिन्दु यादव दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे।

सरकारी व्यवस्था को लेकर लोगों में आक्रोश

सरकार व प्रशासन पर आक्रोश शनिवार को मृतकों के घर के सामने जमे ग्रामीणों में सरकार व प्रशासन के विरूद्ध स्पष्ट आक्रोश दिख रहा था। घटना के दो दिन बाद भी प्रशासन के किसी भी नुमाइंदे के नौआ पोखर नहीं पहुंचने एवं बिहार सरकार द्वारा चारों युवकों के परिजनों की सुधि नहीं लेने का आरोप लगाते हुए ग्रामीण खेद व्यक्त कर रहे थे। परिवार के सदस्य शंकर यादव ने कहा कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद किसी ने यह जानना भी उचित नहीं समझा कि परिवारों का क्या हाल है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के जिस गोदाम में हादसा हुई, उसके मालिक पर मुकदमा चलाना तथा नियमानुकुल मुआवजा की मांग की है। वहीं लालन यादव ने जन प्रतिनिधियों को कोसते हुए कहा कि आज पूरे देश में अखबार और टीवी के माध्यम से लोगों को जानकारी मिल चुकी है। लेकिन विधायक या सांसद किसी ने भी इस ओर मदद का हाथ नहीं बढ़ाया। इसके अलावा तेतर यादव एवं नेमो यादव आदि भी शासन एवं प्रशासन पर अपना भड़ास निकाल रहे थे।मुखिया ने की राहत दिलाने की मांग

बल्लीपुर पंचायत की मुखिया पूनम देवी ने मृतक के परिजनों को सभी प्रकार के सरकारी सुविधा देने की मांग प्रशासन एवं सरकार से की है। उन्होनें विधायक एवं सांसद से दिल्ली में स्थिति का जायजा लेने तथा मृतक के परिजनों को हर संभव मदद करने की भी मांग की है। उन्होनें पंचायत स्तर पर हर संभव सहायता करने का दावा किया है।


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