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गबन के आरोप में पंचायत सचिव बर्खास्त

By Edited By: Published: Thu, 18 Sep 2014 11:20 PM (IST)Updated: Thu, 18 Sep 2014 11:20 PM (IST)

जासं, समस्तीपुर : जिलाधिकारी एम. रामचंद्रुडु ने शिवाजीनगर के शंकरपुर एवं डुमरा मोहन पंचायत के तत्कालीन पंचायत सचिव अमरनाथ ठाकुर को सरकारी योजनाओं के 43 लाख 52 हजार 384 रुपये गबन के मामले में सेवा से बर्खास्त कर दिया है। शिवाजीनगर के बीडीओ को गबन की गई सरकारी राशि की वसूली के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी ने कहा है कि उनके उपर लगे सभी आरोप गंभीर है। सभी आरोप प्रमाणित किए जा चुके हैं। ऐसे कर्मी पर यदि कठोर कार्रवाई नहीं होती है तो वित्तीय अनियमितता, भ्रष्टाचार, कर्तव्यहीनता, अनुशासनहीनता एंव अराजकता को बढ़ावा मिलेगा तथा इसका दुष्प्रभाव अन्य कर्मियों पर भी पड़ेगा। बर्खास्त पंचायत सचिव वर्तमान में उजियारपुर प्रखंड में पदस्थापित था। इनके विरूद्ध प्रपत्र 'क' में शिवाजीनगर के बीडीओ ने आरोप गठित किया था। इनके द्वारा बीडीओ के आदेश का भी लगातर उल्लंघन किया गया है।

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लगे हैं ये आरोप : इन पर पहला आरोप है कि प्रखंड विकास पदाधिकारी शिवाजीनगर ने ज्ञापांक 846 दिनांक 6 सितंबर 2008 के द्वारा इन्हें स्थानांतरित स्थान पर योगदान करने के लिए विरमित किया एवं संर्पूण प्रभार देने का आदेश दिया। इसका अनुपालन नहीं किया गया। यह सेवा संहिता के नियमों का उल्लंघन है। दूसरा आरोप है कि सांसद विधायक, पार्षद एवं एसजीआरवाई मद की 39 योजनाओं का 27 लाख 96 हजार 300 रुपये से अधिक की अग्रिम राशि इनके यहां लंबित है। बार-बार स्मार के बाद भी उन्होंने इसका समायोजन नहीं किया। पंचायतों की विभिन्न योजनाओं के 12 लाख 81 हजार 84 रुपये अग्रिम लेकर काम नहीं कराया तथा राशि का समायोजन नहीं किया। योजनाएं भी अधूरी रह गई। तीसरा आरोप है कि वर्ष 2006 में प्रखंड कार्यालय शिवाजीनगर से वृद्धापेशन व डीजल अनुदान वितरण के लिए क्रमश: 2 लाख 55 हजार तथा 20 हजार कुल 2 लाख 75 हजार रुपये अग्रिम लेकर इसका समायोजन नहीं किया। वर्ष 2008 में दो ग्राम पंचायत डुमरा मोहन एवं शंकरपुर के लिए राशन केरोसिन कूपन लिया गया लेकिन उसका प्रतिवेदन कई स्मार के बाद भी नहीं दिया गया। चौथा आरोप है कि वर्ष 2007 के बाढ़ के समय फस ल क्षति अनुदान वितरण में शंकरपुर पंचायत में हुई अनियमितता की जांच में 125 लोगों को ढंग से अनुदा न देने की बात सामने आई थी। सभी आरोपों पर उनसे स्पष्टीकरण पूछा गया। संतोषप्रद जवाब नहीं दिया गया। द्वितीय कारण पृच्छा का जवाब उनके द्वारा नहीं दिया गया। सभी आरोपों के प्रमाणित होने के बाद डीएम ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया है।


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