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और दूसरे दिन भी रद कई ट्रेनें

सहरसा। सोमवार को सहरसा से लंबी दूरी सहित अन्य राजधानी के लिए जानेवाली कई ट्रेनें दूसरे दिन

By Edited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2016 03:00 AM (IST)
और दूसरे दिन भी रद कई ट्रेनें

सहरसा। सोमवार को सहरसा से लंबी दूरी सहित अन्य राजधानी के लिए जानेवाली कई ट्रेनें दूसरे दिन भी रद्द रही। जिस कारण यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। सहरसा-मानसी रेल खंड के बीच रेल परिचालन ठप रहने के कारण सहरसा से पटना-दानापुर के बीच चलनेवाली राज्यरानी एक्सप्रेस, कोसी एक्सप्रेस, इंटरसिटी एक्सप्रेस एवं जनहित एक्सप्रेस रद्द रही। इसके अलावे सहरसा से आदर्श नगर दिल्ली के बीच चलनेवाली पुरबिया एक्सप्रेस भी रद्द रही। सहरसा-अमृतसर के बीच चलनेवाली जनसेवा एक्सप्रेस सहरसा से रद्द रही। लेकिन जनसेवा को बरौनी से चलायी जा रही है। वहीं गरीब रथ को समस्तीपुर से चलायी जा रही है। सहरसा से सियालदह के बीच चलनेवाली हाटे बजारे एक्सप्रेस को सहरसा से पूर्णिया होकर कटिहार के रास्ते सियालदह चलायी जा रही है। इसके अलावे 55555 , 55567 सहरसा समस्तीपुर पैसेंजर ट्रेन रद्द है। वहीं श्रावणी स्पेशल सहरसा से भागलपुर जानेवाली ट्रेन सहरसा के बजाय इसे मानसी से चलाया जा रहा है। सहरसा-पूर्णिया के बीच चलनेवाली ट्रेनें अपने पूर्व निर्धारित समयानुसार चल रही है। जानकी एक्सप्रेस सहरसा से कटिहार के बीच चल रही है।

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दिन भर भटकते रहे यात्री

सहरसा-मानसी रेल खंड के फनगो पर कोसी नदी के बढते दबाब के कारण रेल परिचालन ठप रहने से यात्री दिन भर परेशान रहे। सहरसा स्टेशन पर पूछताछ कार्यालय में हर हमेशा यात्री ट्रेनों की जानकारी लेते रहे। हालांकि हाटे बजारे एक्सप्रेस को सहरसा-पूर्णिया होकर चलाने का यात्रियों ने स्वागत किया और कहा कि इससे कटिहार की दूरी कम होगी और किराया भी कम होगा। साथ ही समय की बचत होगी। सहरसा से मानसी होकर कटिहार जाने में करीब छह घंटे लगते थे। पूर्णिया होकर ट्रेन को कटिहार जाने में तीन से चार घंटे समय लगेगें।

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बस वालों की कट रही चांदी

सहरसा-मानसी रेल खंड बंद होने से सबसे ज्यादा फायदा बस वालों को हुआ है। पटना से संपर्क टूट जाने पर यात्रियों की भीड़ बस में बढ गयी है। सुबह में ही बस की सारी सीटें फुल हो जाती है। एक दिन में पटना के लिए चार ट्रेनें चलती थी। इन ट्रेनेां की भीड़ मात्र एक दर्जन बसें सहरसा -पटना के बीच चलती है। ऐसे में सीट मिलना मुश्किल हो जाता है। एक यात्री ने कहा कि बस वालों की मनमानी बढ गयी है। सीट रहने के बाद भी कहते है कि सीट फुल है।


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