निजी पब्लिशर्स के पुस्तकों की मारामारी
सहरसा। सत्र 2017-18 शुरू हो चुका है। सरकारी व गैर सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में सत्रारं
सहरसा। सत्र 2017-18 शुरू हो चुका है। सरकारी व गैर सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में सत्रारंभ होने से अधिकांश बच्चों ने पुस्तकें खरीद ली है। सीबीएसई का निर्देश विलंब से जारी होने का लाभ अधिकांश बच्चों को नहीं मिल पाएगा। सहरसा जिले में निजी स्कूलों की संख्या करीब 500 से अधिक है। शहरी क्षेत्र के 40 वार्डों में करीब 200 निजी विद्यालय हैं। जिसमें सीबीएसई पैटर्न की पढाई कराई जाती है। शहर में मात्र सात निजी स्कूलों को ही सीबीएसई से मान्यता मिली हुई है। शेष निजी स्कूल बिना निबंधन के ही चल रहे हैं।
हर वर्ष नये सत्र में बच्चों को नई पुस्तक खरीदनी पड़ती है। निजी विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों की पुस्तकें हर वर्ष बदल दी जाती है। जिससे निजी पब्लिशर्स को काफी फायदा होता है। वहीं अभिभावकों की परेशानी बढ जाती है। सीबीएसई निबंधित स्कूलों में तो बच्चों को एनसीआरटीई की पुस्तकों को पढाने का प्रावधान है। लेकिन एनसीआरटीई की पुस्तकों की उपलब्धतता नहीं रहती है। जिस कारण बच्चों को निजी पब्लिशर्स की पुस्तकें खरीदनी पडती है। पुस्तक खरीदने के लिए दुकानों में भीड लगी रहती है। एनसीआरटीई की पुस्तक तो लोगों को सस्ती मिलती है लेकिन निजी पब्लिशर्स की पुस्तक तो इतनी महंगी होती है कि नर्सरी वर्ग का पुस्तक खरीदने में डेढ़ हजार से ज्यादा रूपये लग जाता है। कई छोटे-छोटे स्कूलों में तो बच्चों को पुस्तक, ड्रेस सहित अन्य स्टेशनरी उपलब्ध कराई जाती है।
सीबीएसई का निर्देश
सीबीएसई ने निर्दैश जारी किया है कि कोई भी सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूल अपने परिसर में पुस्तक, ड्रेस या अन्य स्टेशनरी की बिक्री नहीं कर सकता है। इसके अलावे इन स्कूलों में एनसीआरटीई की पुस्तकें चलेगी। अभिभावक कहीं से पुस्तक खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं। इसका अनुपालन नहीं करनेवाले स्कूलों की मान्यता भी रद्द की जाएगी।
- सीबीएसई पैटर्न के अनुसार ही स्कूल संचालित किया जाता है। बच्चों को एनसीआरटीई की ही पुस्तकें खरीदने के लिए कहा गया है।
मुकेश कुमार ¨सह, निदेशक, एकलव्या सेंट्रल स्कूल