'अच्छाईयों व बुराईयों का सीख देता है साहित्य'
सहरसा, जासं : आजादी के आंदोलन से लेकर आजतक साहित्यकारों की कलम आईना बनकर समाज को रोशनी दिखाता रहा है। साहित्य जहां अच्छाईयों को प्रोत्साहित करता है, वहीं बुराई पर प्रहार करने का एक सशक्त माध्यम है। उक्त बातें विधायक डॉ. आलोक रंजन ने रविवार की शाम रेलवे अस्पताल में अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा रेलवे अस्पताल में संपन्न कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। इससे पूर्व साहित्य परिषद के राष्ट्रीय परिषद सदस्य भुवनेश्वर गुरमैता व विधायक ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का उद्घाटन किया।
संबोधित करते हुए श्री गुरमैता ने साहित्य परिषद द्वारा किये जा रहे कार्यो की विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने सहरसा ईकाई की सराहना करते हुए कहा कि स्थापना काल से साहित्य परिषद साहित्यकारों को सम्मानित करने का कार्य कर रही है। डा. जीपी शर्मा की अध्यक्षता व प्रो. अरविन्द कुमार नीरज के संचालन में संपन्न कार्यक्रम में सभी अतिथियों व साहित्यकारों को मिथिला रीति के मुताबिक पाग, चादर व माला पहनाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में संस्था के जिला महासचिव अवधेश कुमार झा अवध ने गत वर्ष के संस्था के क्रियाकलाप की विस्तृत चर्चा की।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में साहित्य परिषद पत्रिका 'साहित्य सृजन ' के 33 वें अंक का विमोचन किया गया। तत्पश्चात साहित्यकारों ने 'वर्तमान परिवेश में साहित्यकारों की भूमिका' विषय पर विवेचना प्रस्तुत किया। तीसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय व बाहर से आये साहित्यकारों ने अपनी-अपनी कविता का सस्वर पाठ किया। मौके पर बेतिया के डा. देवी लाल यादव, देवरिया के डा. जर्नादन, मुजफ्फरपुर के मिनाक्षी मिलन, संजय पंकज, ब्रजनंदन वर्मा, डा. जयकांत, चंपारण के पन्ना लाल, पटना के संजय कुमार शर्मा, हरिद्वार तिवारी, छपरा के विश्वनाथ शर्मा के अलाचा स्थानीय डा. एहसान शाम, गया प्रसाद कर्ण श्यामानंद लाल दास, ललन कुमार, मृतुजा नरियारवी, निखिल कुमार राही, कृष्ण कुमार क्रांति, ओमप्रकाश मुन्ना, सियाराम यादव, मयंक आदि मौजूद रहे।