कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर ना आए...
रोहतास। हम सरहद पर तैनात देश के वीर जवानों के कर्जदार हैं। देशभक्ति के परवानों की
रोहतास। हम सरहद पर तैनात देश के वीर जवानों के कर्जदार हैं। देशभक्ति के परवानों की जब याद आती है, तो यह गीत हमारे मनोमस्तिष्क में कौंधने लगता है कि 'मत भूलो सीमा पर वीरों ने हैं प्राण गंवाए, कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर ना आए।' दीपावली को ले शहीद सैनिकों के सम्मान में दैनिक जागरण द्वारा एक दीया शहीद सैनिकों के नाम की पहल न सिर्फ प्रशंसनीय है, बल्कि अनुकरणीय भी है। जिन्होंने देश की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी, उन बहादुर सैनिकों की पहली कतार में हमारे जिले से भी कई वीर जवान शामिल हैं, जिन्होंने हंसते-हंसते राष्ट्र की बलीवेदी पर अपने आपको कुर्बान कर दिया। ऐसे वीर जवानों के सम्मान में हम भी जागरण के इस अभियान का हिस्सा बनें यही कामना है।
अखौरी मंगलाचरण श्रीवास्तव
पूर्व चेयरमैन- बिहार बार काउंसिल
शहीद की पहचान है उसकी वीरता
शहीद का कोई वर्ग नहीं होता। शहीद की पहचान होती है, उसकी वीरता। वह सीमा पर किसी खास व्यक्ति की रक्षा के लिए दिन-रात संघर्ष नहीं करता। वह पूरे देश के लिए लड़ता है। मातृभूमि की रक्षा के कर्तव्य का निर्वहन करते-करते वह अपना घर-परिवार हमारे भरोसे छोड़कर अपनी शहादत दे देता है। ऐसे वीर जवानों का हम पर एक कर्ज है। उसकी याद में दैनिक जागरण की पहल पर इस दीवाली एक दीया जलाने का कार्यक्रम है। सीमा पर तैनात जवानों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज हम देश के अंदर सुरक्षित हैं, तो वह सीमा पर तैनात जवानों की देन है। हमें उन अमर शहीदों की स्मृतियों को संजोना है, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपनी प्राणों की आहुति दे दी। हमें भी पूरी निष्ठा के साथ एक होकर उनके नाम का दीया जलाना चाहिए।
जवाहर प्रसाद, पूर्व विधायक-सासाराम
एक दीया हमारा भी हो शहीदों के नाम
हम शहीदों की सहादत को सलाम करते हैं। हमें उन अमर शहीदों पर गर्व है, जो जाते-जाते भी दुश्मनों के छक्के छुड़ा गए। सीमा पर तैनात हमारे जाबांज जवान अपनी जान की परवाह न करते हुए दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। हमें उनकी बहादुरी का सम्मान करना चाहिए। जागरण की पहल एक दीया शहीदों के नाम सराहनीय व अनुकरणीय है। हमें भी इस महान कार्य का सहभागी बनना चाहिए। यह हमारा सौभाग्य है कि हमें भी इस अभियान में भागीदार बनने का मौका मिल रहा है। हमारा कर्तव्य है कि शहीद परिवार के हर सुख-दुख में शामिल हों। मातृभूमि की रक्षा में जान गंवाने वाले शहीदों की याद में इस दीवाली हम भी एक दीया जलाएं व पास-पड़ोस के लोगों को भी इसके लिए जागरूक करें।
डा. रमाशंकर तिवारी
पूर्व अध्यक्ष-आईएमए, सासाराम