फोन की घंटी बजी और फीका पड़ गया डीआइजी का चेहरा
तिथि 15-2-2002, समय शाम के 4:20, स्थान एसडीपीओ कार्यालय सासाराम।
रोहतास। तिथि 15-2-2002, समय शाम के 4:20, स्थान एसडीपीओ कार्यालय सासाराम। फोन की घंटी अचानक घनघनाती है। एसडीपीओ सुदर्शन मंडल द्वारा रिसीवर उठाते ही उधर से आवाज आई कि डीआइजी साहब को जल्दी फोन दीजिए। डीआइजी ने जैसे ही फोन उठाया उधर से आवाज आई कि साहब! डीएफओ साहब के साथ कुछ हो गया है। गोली चलने की सूचना मिली है। पार्टी वालों का काम है सर। बिना कुछ कहे गाड़ी में बैठ रोहतास के लिए रवाना हो गए। एक घंटे बाद यह खबर आग की तरह फैल गई कि डीएफओ संजय ¨सह की नक्सलियों ने गोली मार हत्या कर दी है।
एसडीपीओ कार्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे तत्कालीन डीआइजी कई खामियों को देख एसडीपीओ से अभी सवाल-जवाब कर ही रहे थे कि एक फोन की घंटी ने माहौल को ही गमगीन कर दिया। तब मोबाइल की सुविधा न तो पुलिस के पास थी, न ही आम लोगों के पास। लोग डीएफओ के आवास के पास पहुंचने लगे। इस बात की पुष्टि होते ही कि डीएफओ संजय ¨सह आज दलबल के साथ रेहल गए हैं, अनहोनी को ले लोगों की आशंका बलवती हो गई। देर रात उनका शव रोहतास थाना पर लाया गया, जहां विशेष परिस्थिति में अंत्यपरीक्षण किया गया। इस हत्याकांड ने आमजनों को भी अंदर से हिलाकर रख दिया था।