जड़ भक्ति से ऊपर उठ चेतन पथ पर अग्रसर हों : विज्ञानदेव जी
निज प्रतिनिधि, इन्द्रपुरी (रोहतास) : शरीर की पुष्टि एवं इन्द्रियों की तृप्ति मात्र मानव जीवन का उद्देश्य नहीं हो सकता। जड़ भक्ति से ऊपर उठकर भक्ति के चेतन पथ पर अग्रसर होने की आवश्यकता है। विहंगम योग संस्थान के संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने यह बातें कही। वे कटार सोन तट पर विहंगम योग के प्रणेता सदगुरु सदाकुल देव जी की 125वीं जन्म जयंती के मौके पर शनिवार को आयोजित त्रिदिवसीय विश्वशांति वैदिक महायज्ञ सह योग समारोह के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। पांच राज्यों से आए करीब पचास से भी अधिक श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज मानव के मन में अशांति है और जब तक यह अशांति है तब तक विश्व शांति की कामना नहीं की जा सकती। विहंगम योग इसी अशांति को दूर कर मानव को मानवीय गुणों से युक्त कर देता है। जिससे उसे आध्यात्मिक जीवन का मार्ग प्राप्त होता है। इससे पूर्व प्रात: 7 बजे 'अ' अंकित ध्वज का ध्वजारोहण कर समारोह प्रारंभ किया गया। प्रात: 7 से 9 बजे तक बाहर से आए योग प्रशिक्षकों द्वारा साधकों को आसन प्राणायाम का प्रशिक्षण दिया गया। 10 बजे दिन से 12 बजे दिन तक नि:शुल्क योग, आयुर्वेद, होम्योपैथ, पंचगव्य व प्राकृतिक चिकित्सा परामर्श श्रद्धालुओं को दिया जा रहा है। साथ ही विहंगम योग की क्रियात्मक ज्ञान की दीक्षा दिन में 3 से 5 बजे तक आगत जिज्ञासुओं को दिया जा रहा है।
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बारिश पर भारी श्रद्धालुओं का उत्साह
इन्द्रपुरी : दिन में परिसर में हुई डेढ़ घंटे की जबर्दस्त बारिश भी भक्तों के उत्साह को कम नहीं कर सकी। शुक्रवार से ही भक्तों का आना अनवरत जारी है। डेहरी स्टेशन, बस पड़ाव आदि जगहों से सैकड़ों वाहनों लगे सफेद झंडे दिख रहे हैं। निजी वाहनों की भी खूब चांदी है। छत्तीसगढ़ से आये भक्त सुरेश उरांव ने कहा कि मैं गत तेरह वर्षो से विहंगम योग के प्रत्येक समारोह में जाता हूं। परिसर में सहायता व सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था है। आयुर्वेदिक व उपयोगी वस्तुओं के करीब 50 स्टाल लगाए गए हैं। मीडिया प्रभारी पंकज कुमार ने बताया कि रविवार व सोमवार को श्री विज्ञानदेव जी का एवं सोमवार की रात्रि स्वतंत्रदेव जी महाराज के स्वर्वेद कथामृत का पान श्रद्धालु करेंगे।
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