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आखिरी जुम्मे को अलविदा की नमाज

By Edited By: Published: Fri, 02 Aug 2013 07:07 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2013 07:08 PM (IST)

जागरण टीम, सासाराम

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'अलविदा अलविदा अलविदा है

माहे रमजान अलविदा है

दिन तेरे आने से मोतबर थे

नूर में डूबे शामो-शहर थे.'

रमजान माह के आखिरी जुम्मे शुक्रवार को शहर के विभिन्न मस्जिदों में अलविदा की नमाज अता की गयी, इसी के साथ पवित्र रमजान माह के विदा का वक्त भी रफ्ता-रफ्ता करीब आने लगा है। जानकार बताते हैं कि हिजरी कैलेंडर के नौवें माह रमजान के आखिरी जुम्मे को अलविदा की नमाज का बड़ा महत्व है। आज नमाज के लिए रोजेदारों की उमड़ी भीड़ अलविदा के रमजान की महत्ता को बयां कर रही थी। दोपहर में शहर के करनसराय अड्डा रोड की मस्जिद, पोश्ते खां की मस्जिद, शाही मस्जिद मदार दरवाजा, चौखण्डी मस्जिद, कबीरगंज मस्जिद, ईमली आदम खां की मस्जिद, शाह जुमां की मस्जिद, हसन खां सूर रौजा की मस्जिद, नूरनगंज की मस्जिद, खानकाह मस्जिद समेत अन्य मस्जिदों में नमाज अता की गयी।

डेहरी में बारह पत्थर स्थित जामा मस्जिद, ईदगाह मस्जिद, नीलकोठी स्थित गौसिया व सगिरिया मस्जिद, जक्खी बिगहा स्थित मक्का मस्जिद, न्यू डिलियां स्टेशन रोड मस्जिदों में अलविदा की नमाज अता की गयी। मौलाना लतिफुर रहमान ने बताया रमजान अल्लाह का महीना है। अल्लाह ने रमजान को अपने से बावस्ता किया है। माह-ए-रमजान का दर्जा बहुत अजीम है और इस माह में अलविदा की नमाज सबसे अजीम मानी जाती है। बताया कि रमजान के महीने में गरीब व मजबूर लोगों के लिए जकात व फितरे की राशि निकालने का सिलसिला जारी है। लोग इसे ईद की नमाज के पहले अदा करेंगे।

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