बाढ़ की आहट से सजग हुआ जिला प्रशासन
पूर्णिया। मानसून के शुरु होते ही बाढ़ की आहट के साथ प्रशासनिक तैयारी शुरु हो गयी है।
पूर्णिया। मानसून के शुरु होते ही बाढ़ की आहट के साथ प्रशासनिक तैयारी शुरु हो गयी है। दरअसल यह क्षेत्र बाढ़ और सुखाड़ एक साथ झेलती है। मानसून के अच्छा रहने से नदियों का जल स्तर बढ़ने लगता है और कई इलाका बाढ़ की चपेट में आ जाता है। दूसरी ओर काम वारिश से सुखा का खतरा मंडराने लगता है। इसलिए प्रशासन इस मौसम के आते ही अपने संबंधित विभाग को अलर्ट पर रखता है।
कोशी, कनकई और परमान नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से खासकर अमौर, बैसा, बायसी, डगरूआ, धमदाहा, रूपौली के इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। मंगलवार को जिलाधिकारी ने भी इस बाबत तैयारी की समीक्षा की और आवश्यक निर्देश दिया। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सबसे बड़ी समस्या पलायन की होती है इसको देखते हुए जिलाधिकारी ने सभी अंचलाधिकारी को नदियों से कटाव प्रभावित पंचायतों में घरों का सर्वे कर ग्रामीणों की सूची तैयार करके ग्रामसभा से पारित कराने का निर्देश दिया गया। बाढ़ की स्थिति में शरण स्थली को चिन्हित किया गया है। सभी शरण स्थली में आवश्यकतानुसार शौचालय एवं चापाकल की व्यवस्था की जायेगी। जिलाधिकारी पंकज पाल ने स्वास्थ महकमा को तैयार रहने का निर्देश दिया है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पर्याप्त मात्रा में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। सिविल सर्जन को इस बावत निर्देशित किया गया है। पशुचारा की वैकल्पिक व्यवस्था भी की जायेगी। प्रमंडल स्तर पर नियत्रंण कक्ष की स्थापना की जायेगी।
संभावित खतरे को देखते हुए राशन, लाइफ जैकेट व नाव के साथ जरूरी सामानों से लैस एसडीआरएफ की टीम तैयार रहेगी।
जिलाधिकारी ने शुक्रवार को बायसी अनुमंडल के विभिन्न संभावित बाढ़ - कटाव वाले क्षेत्रों का भी निरीक्षण किया। डुमरिया में ग्रामीणो द्वारा अवैध रूप से मिट्टी कटाई के कारण कनकई नदी से कटाव की संभावना बढ़ गई है। हरिण टोल एवं बेलगच्छी में परमाण नदी से कटाव की संभावना को देखते हुए सभी स्थलों आकस्मिक स्थिति में कटाव निरोधी कार्य प्रारंभ करने हेतु आवश्यक सामग्री का भंडारण किया जा रहा है।