Move to Jagran APP

पूर्णिया में स्थापित है बिहार का दूसरा राज्य पुस्तकालय

पूर्णिया। जिले में दो समृद्ध पुस्तकालय का अस्तित्व आजादी के समय से ही है। पुस्तकालय में सदस्यों की संख्या भी काफी है। पुस्तकों की संख्या में जरूर कमी आई है।

By Edited By: Published: Tue, 10 Jan 2017 08:05 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jan 2017 08:05 PM (IST)
पूर्णिया में स्थापित है बिहार का दूसरा राज्य पुस्तकालय

पूर्णिया। जिले में दो समृद्ध पुस्तकालय का अस्तित्व आजादी के समय से ही है। पुस्तकालय में सदस्यों की संख्या भी काफी है। पुस्तकों की संख्या में जरूर कमी आई है।

loksabha election banner

वर्तमान में लोगों के पास कई विकल्प मौजूद हैं। लोग इंटरनेट पर पुस्तकों को पढ़ लेते हैं बावजूद दोनों लाइब्रेरी की सदस्य संख्या कम नहीं है।

जिला का दूसरा जिला राज्य पुस्तकालय

स्थानीय जिला जज के आवास के बगल में मधुबनी रोड स्थित जिला राज्य पुस्तकालय के अंदर प्रवेश करते ही इसकी भव्यता का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। अब इसके रखरखाव और पुस्तक भंडारण में कमी जरूर है। जिस अनुपात में पुस्तकें खराब होती गई उस अनुपात में लाइब्रेरी को नहीं मिली है। जिला राज्य पुस्तकालय बिहार में मात्र दो ही है। एक पटना उर्दू अकादमी पटना और दूसरा जिला राज्य पुस्तकालय पूर्णिया है। इसका संचालन सिन्हा पुस्तकालय, पटना द्वारा किया जाता है। 1952 में जिला राज्य पुस्तकालय की स्थापना हुई थी। फिलहाल पुस्तकालय के पास नियमित पुस्तकालय अध्यक्ष नहीं है। प्रतिनियुक्ति पर काम चलाया जा रहा है। लाइब्रेरी की सदस्य संख्या करीब 900 है। नई पुस्तकों को स्टॉक में लेने का काम लगभग पूरा कर लिया गया है। ये भी काम विभिन्न स्कूलों से शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर बुला करवाया गया है। सभी नई पुस्तकें राज राम फाउंडेशन, कोलकाता के द्वारा दान स्वरूप दी जाती है।

पब्लिक इंदूभूषण लाइब्रेरी

जिला में दूसरी लाइब्रेरी पब्लिक इंदूभूषण लाइब्रेरी है। इसकी स्थापना भी आजादी के समय हुई थी। भट्टा दुर्गाबाड़ी समिति इंदूभूषण पब्लिक लाइब्रेरी ट्रस्ट को भूमि दान स्वरूप दी गई थी। उस वक्त यह शर्त रखी गई थी कि इसमें केवल पुस्तकालय ही चलाया जाएगा किसी भी हालत में इसके स्वरूप में भी बदलाव नहीं किया जाएगा। इस पुस्तकालय का नाम बांग्ला साहित्यकार सतीनाथ भादुड़ी के पिता के नाम पर है जो जाने-माने वकील थे। इस पुस्तकालय को जिला राज्य पुस्तकालय से भी मदद मिलती है। इस पुस्तकालय में बांग्ला, हिन्दी व अंग्रेजी की पुस्तकें हैं। इंटरनेट के जमाने में भी दोनों ही लाइब्रेरी का अस्तित्व है। यहां सदस्यों की संख्या भी काफी है। नियमित लोग पुस्तक ले जाते हैं। बहुत ही मामूली राशि महीने में जमा करनी पड़ती है। सिक्यूरिटी चार्ज भी काफी कम है। दोनों ही लाइब्रेरी में एक वाचानालय भी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.