कैसे कोई गीत सुना दे ¨बदिया-कुमकुम-रोली के..
पूर्णिया: कला भवन परिसर में शनिवार को वीर रस के कवि डॉ. हरिओम पवार ने जब सत्ता और व्
पूर्णिया: कला भवन परिसर में शनिवार को वीर रस के कवि डॉ. हरिओम पवार ने जब सत्ता और व्यवस्था के खिलाफ अपनी ओज पूर्ण आवाज बुलंद की तो सदन में बिल्कुल सन्नाटा छा गया। अवसर था दैनिक जागरण की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन। सबसे अंत में अपनी कविता पाठ करने आए डॉ. पवार ने अपनी कविताओं से श्रोताओं पर ऐसा असर डाला कि कोई अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रहे थे। सदन में बैठे सांसद संतोष कुमार कुशवाहा से भी उन्होंने आग्रह किया कि वे देश की दुर्दशा के जिम्मेदार लोगों को सबक सिखाने के लिए लोकसभा में कानून बनाएं। शराबबंदी के लिए उन्होंने जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सैल्युट किया वही देश के प्रधानमंत्री से इसे पूरे देश में लागू किये जाने का आह्वान भी किया।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में वीर रस के कवि डा. हरिओम पवार ने अपनी ओज पूर्ण वाणी से सत्ता और व्यवस्था पर जम कर चोट किया। कवि की बेचैनी दर्शाते हुए उन्होंने कहा कि देश में जैसी स्थिति बन गई है ऐसी हालात में कोई कैसे प्रेम की कविताएं लिख सकता है। इस दर्द को बयां करते हुए उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कवित सुनाई। Þ जब पंछी के पंखों पर हो पहरे बम के गोली के, जब ¨पजरे में कैद पड़े हों सुर कोयल की बोली के, जब धरती के दामन पर हो दाग लहू की होली के, कैसे कोई गीत सुना दे ¨बदिया-कुमकुम-रोली के.. Þ। देश में धार्मिक भावनाओं को भड़का कर राजनीति किए जाने पर भी उन्होंने जमकर कटाक्ष किया। देश की जगह मंदिर-मस्जिद और मंडल-कमंडल पर राजनेताओं का जोर दिए जाने पर भी उन्होंने जम कर निशाना साधा। कहा-कहां बनेंगे मंदिर-मस्जिद कहां बनेगी रजधानी, मंडल और कमंडल ने भी पी डाला आंखों का पानी, प्यार सिखाने वाले बस्ते मजहब के स्कूल गये, इस दुर्घटना में हम अपना देश बनाना भूल गये.। उनकी कविता की एक-एक लाइन पर सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजता रहा। श्रोताओं की मांग पर उन्हें देर शाम तक कविता सुनाना पड़ा।