अर्जी नहीं पुलिस की मर्जी पर एफआइआर
पूर्णिया। पूर्णिया के मुफ्फसिल थाने की पुलिस पीड़ितों के अर्जी पर नहीं बल्कि अपनी मर्जी पर उनकी शिकाय
पूर्णिया। पूर्णिया के मुफ्फसिल थाने की पुलिस पीड़ितों के अर्जी पर नहीं बल्कि अपनी मर्जी पर उनकी शिकायतों को थाना में दर्ज करती है। हाल के दिनों में सामने आया मामला कुछ यही बयां करता है। मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के किशनपुर निवासी हाकिम अंसारी द्वारा थाने में दर्ज कराया गया मामला मुफ्फसिल पुलिस की कार्यशैली के तरीके को बखूबी बयां कर रहा है। हाकिम अंसारी ने अपने पिता के साथ घटी मारपीट की घटना को लेकर आठ अक्टूबर 2016 को मुफ्फसिल थाने में आवेदन दिया। लिखित शिकायत मिलने के बाद मारपीट की घटना में बुरी तरह से जख्मी हाकिम के पिता महीरउद्दीन अंसारी का सदर अस्पताल में इलाज कराने के लिये पुलिस ने जख्म स्लीप भी निर्गत कर दिया लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने आठ अक्टूबर को थाने में प्राथमिकी दर्ज नहीं की। पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का नाटक तो किया लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। जब पीड़ित को मामला दर्ज नहीं करने की भनक लगी तो उसने एसपी पूर्णिया को मुफ्फसिल पुलिस द्वारा मामला दर्ज नहीं करने को लेकर 13 अक्टूबर को आवेदन दिया जिसके बाद मुफ्फसिल पुलिस द्वारा आनन-फानन में 16 अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की। वह भी पीडित के फर्जी हस्ताक्षर करने के बाद। आठ अक्टूबर को थाने में की गयी लिखित शिकायत में पुलिस ने पीड़ित के आवेदन पर भारतीय दंड विघान की धारा 341, 323, 147, 148, 324, 307, के तहत दर्ज किया। इस मामले में दिये गये आवेदन में मुफ्फसिल थाना अध्यक्ष अमित कुमार ने सोना राम नामक पुलिस पदाधिकारी को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है। जांच का जिम्मा सौंपे जाने के बाद पुलिस ने चिकित्सा पदाधिकारी सदर अस्पताल पूर्णिया को जख्मी पीडित का इलाज करने के लिये पत्र भी निर्गत कर दिया। सदर अस्पताल को भेजे गये पत्र में मुफ्फसिल थाना के पुलिस पदाधिकारी राम विजय शर्मा के हस्ताक्षर है। पुलिस ने इलाज के लिये यह पत्र सदर अस्पताल को 8 अक्तूबर को भेजा। पुलिस के इस पत्र के बाद जख्मी का सदर असप्ताल में इलाज भी हुआ और उसे इलाज बाद सदर अस्पताल से 19 अक्टूबर को डिस्चार्ज भी कर दिया गया। मामला सामने आने के बाद पीड़ित हाकिम अंसारी ने डीआईजी के पास इस मामले की लिखित शिकायत की जिसमें उसने मुफ्फसिल पुलिस द्वारा फर्जी हस्ताक्षर कर आठ अक्टूबर के बदले 16 अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीआईजी ने इस मामले में एसपी पूर्णिया को जांच करने का निर्देश दिया। डीआईजी को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि 16 अक्टूबर को पुलिस द्वारा जो प्राथिमकी दर्ज की गयी उसमें धारा 415 हटा दी गयी है। आठ अक्टूबर को थाने में दिये गये आवेदन में पीड़ित का नाम के अलावा मोबाइल नंबर दर्ज है जबकि सोलह अक्टूबर को दर्ज प्राथमिकी में मोबाइल नंबर नही दर्ज की गयी है। इसके अलावा हस्ताक्षर भी फर्जी बनाया गया है।
--------कोट के लिए:-
फर्जी हस्ताक्षर कर प्राथमिकी दर्ज करने की शिकायत आवेदक ने की है। आवेदक की शिकायत की जांच का पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया गया है। ---उपेंद्र कुमार ¨सहा, पुलिस उप महानिरीक्षक, पूर्णिया रेंज
-------------------------------------------------------------------------