पूर्णिया के भूषण बने ¨हदी के आभूषण
पूर्णिया [राजेश कुमार]: पूर्णिया के भूषण कुमार चौधरी को ¨हदी का आभूषण कहकर नवाजा जाने लगा है। उन्हों
पूर्णिया [राजेश कुमार]: पूर्णिया के भूषण कुमार चौधरी को ¨हदी का आभूषण कहकर नवाजा जाने लगा है। उन्होंने तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से ¨हदी स्नातकोत्तर में प्रथम वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। भागलपुर विश्वविद्यालय के 44वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल सह कुलाधिपति ने उनकी इस उपलब्धि के लिए स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया है। स्थानीय विद्या विहार आवासीय विद्यालय में शिक्षक के रूप कार्यरत श्री चौधरी उपन्यास व कई कहानियां भी लिख चुके हैं। अधिकारी बनने सपना है जिसे साकार करने के लिए ये बीपीएससी की तैयारी कर रहे हैं।
परोरा निवासी स्व. सचिदानंद चौधरी और शिक्षिका मीरा देवी के पुत्र श्री चौधरी को बचपन से ही ¨हदी से विशेष लगाव था। बचपन से ही साहित्य सृजन की तमन्ना थी। इसे आकार देते हुए इन्होंने सावन के दो रंग उपन्यास सहित जीने की चाह, इच्छा आदि कहानियां लिखी। इनकी लिखी कहानियां पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुई। ¨हदी के अलावा गणित पर भी अच्छी पकड़ है। इन्होंने अपना उपन्यास सावन के दो रंग चंपू शैली में लिखी है। इस शैली में गद्य और पद्य दोनों रहता है। बताते हैं कि उन्हें सम सामयिक विषयों पर जमीन से जुड़ी बातें लिखने का शौक है। इसलिए वे लिखते रहते हैं। बताया कि वर्तमान परिवेश पर चोट करते हुए उन्होंने अपने उपन्यास में लिखा है इंसान इंसान को डंस रहा है और घर के कोने में सांप हंस रहा है। सांप खुश है कि जो काम वह कर रहा था आज इंसान कर रहा है। फणीश्वर नाथ रेणु को अपना आदर्श मानने वाले श्री चौधरी ने बताया कि उन्हें सपने में उनके अधिकारी बनने की बात आती है। इसे पूरा करने के लिए वे जुटे हैं। विद्यालय से बचे समय को वे अपनी तैयारी में लगाते हैं। श्री चौधरी ने कहा कि सच्ची लगन एवं मेहनत के बूते सब कुछ हासिल किया जा सकता है। स्वर्ण पदक प्राप्त करने पर कई लोगों ने इन्हें बधाई देते हुए ¨हदी का आभूषण कहा।