Move to Jagran APP

मोहनी पंचायत : नगर निगम-नगर पंचायत आसपास, फिर भी नहीं हुआ विकास

पूर्णिया। पूर्व में नगर पंचायत तथा दक्षिण में नगर निगम पूर्णिया की सीमा से सटे होने के बावजूद मोहनी

By Edited By: Published: Tue, 01 Dec 2015 06:35 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2015 06:35 PM (IST)

पूर्णिया। पूर्व में नगर पंचायत तथा दक्षिण में नगर निगम पूर्णिया की सीमा से सटे होने के बावजूद मोहनी पंचायत का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। पंचायत की आधी से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है, फिर भी किसानों को मिलने वाली सुविधाएं पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पा रही है।

loksabha election banner

पंचायत के कुछ परिवार आज भी अपने पुस्तैनी कारोबार चूना निर्माण कर अपने परिवारों का पालन कर रहे हैं। रोजगार का यहां नितांत अभाव है। इसलिए दिल्ली-पंजाब के बूते यहां कई घरों के चूल्हे जलते हैं।

-----------------------------------------------

कभी यहां से चूना से नेपाल तक आती थी सफेदी

फोटो-1 पीआरएन-39,40,41

पंचायत के मोहनी गांव के कई परिवार अभी भी घोंघे तथा सितुआ से चूना निकालने का काम करते हैं। कभी इनके द्वारा तैयार चूना पूर्णिया सहित कटिहार, अररिया और नेपाल तक भेजे जाते थे। किन्तु बाजारीकरण और सरकारी मदद नहीं मिलने के कारण इनके चूने की मांग घट गयी है और यह रोजगार सिमटता जा रहा है। इस धंधे से जुड़े परिवार इसे छोड़कर दिल्ली, पंजाब,हरियाणा का रूख करने लगे हैं।

---------------------------------------------

कहते हैं ग्रामीण ----

फोटो-1 पीआरएन-43, 44, 45, 46, 47, 48, 53, 54, 55

लगभग तेरह हजार की आबादी वाली इस पंचायत का हाल जानने के लिए जब बात की गई स्थानीय लोगों से तो विकास के कार्यों के अलावा यह बात सामने आयी कि बुनियादी सुविधाओं का भी लोगों को अभाव है।

मि•राबाड़ी गांव के मो0 रफीक कहते हैं कि समय के साथ पंचायत का काफी विकास हुआ किन्तु आज भी पंचायत के लोग दूषित जल पीने को विवश हैं। हालांकि मोहनी गांव में 2000 लीटर क्षमता वाले सौर उर्जा वाले पानी टंकी स्थापित है, जिससे मोहनी गांव के लोगों को स्वच्छ पेयजल का लाभ मिल रहा है। अन्य गांव वाले दूषित जल पीने को विवश हैं। मोहनी गांव के विपिन कुमार यादव का कहना कि मोहनी पंचायत में नागरिक सुविधाओं का घोर अभाव है। पंचायत की दो तिहाई आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रही है। गांव के बेलबाड़ी सहित दलित मोहल्ले के लोगों ने आज तक बिजली के बल्ब का दर्शन नहीं किया है। मोहनी गांव के ही निर्मल कुमार उ़र्फ बाबा का कहना है कि पंचायत के कई ऐसे गांव है,जहा न सड़क है और न ही बिजली है। पंचायत के सैकड़ों लोगों का नाम खाद्य सुरक्षा योजना से हटाते हुए उसे बीपीएल, अन्तोदय तथा एपीएल कार्ड से वंचित रखा गया है। कहा कि 24 अप्रैल को आये विनाशकारी तूफान में किसानों के फसलों को भारी क्षति हुई थी जिसका मुआवजा आज तक किसानों को नहीं मिल पाया है। गृह क्षति में भी राशि का बन्दरबांट हुआ। टीकापुर गांव के रवि राज चौधरी का कहना है कि पंचायत में शिक्षा का स्तर गिरा हुआ है। पंचायत में उच्च विद्यालय नहीं होने के कारण यहां की लड़कियों तथा लड़कों को 10 वीं की पढ़ाई के लिए 8 किलोमीटर दूर कसबा जाना पड़ता है। पंचायत स्तर पर मनरेगा योजना भी मजदूरों का पलायन रोक पाने में असमर्थ रही। जबकि पूर्व मुखिया रीता साह का कहना है कि पिछले पांच सालों में पंचायत में मनरेगा, 13वे वित् तथा बीआरजीएफ योजना में जमकर लूटपाट की गयी। साथ ही फसल मुआवजा तथा गृह क्षति मुआवजा में जमकर घोटाला किया गया। बेलबाड़ी माहादालित टोल में बिजली आज तक नहीं पहुंच पाई। कई लाभुकों को अबतक न बीपीएल, अन्तोदय तथा एपीएल कार्ड मिला है न ही अन्य योजनाओं का लाभ मिल पाया है। कई ऐसे सड़क है जहां पैदल जाना भी कठिन है।

2011 के पंचायत चुनाव में मोहनी पंचायत से मुखिया पद से पराजित उम्मीदवार मो0 मं•ार आलम का कहना है कि विकास के कुछ कार्य हुए हैं किन्तु कई कार्य ऐसे हैं जो आजतक अधूरा पड़ा हुआ है। पंचायत के कई ऐसे लोग हैं जिन्हें आजतक इंदिरा आवास योजना का लाभ नहीं मिला पाया है। वही कई लोग मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, पारिवारिक लाभ योजना सहित कबीर अंत्ेयष्टि योजना के लाभ से वंचित हैं। पंचायत में दलालों का बोलवाला है। कई ऐसे गांव है जह पुल-पुलिया के भाव में लोग चचरी पुल से गुजरने को विवश है।

वही पंचायत के पैक्स अध्यक्ष शशि मोहन यादव ने कहा की पंचायत में किसानों की सुविधाओं का कोई ख्याल नहीं रखा गया है। जबकि प्रखंड के सबसे बड़े सीमांत किसान इसी पंचायत के है। पंचायत में दो सरकारी नलकूप हैं, जिसमे एक वर्षो से बंद पड़ा हुआ है। साथ ही किसानों के फसलों के रख रखाव के लिए एक भी सरकारी गोदाम नहीं रहने के कारण किसान अपनी फसलों को संरक्षित नहीं रख पाते। मोहनी गांव निवासी नवीन यादव ने बताया कि पंचायत में शिक्षा का स्तर काफी गिरा हुआ है। पांच वर्ष पूर्व सरकारी स्तर पर पंचायत के टीकापुर गांव में पुस्तकालय का निर्माण कराया गया। लेकिन आजतक इस पुस्तकालय को आम लोगों के लिए खोला ही नहीं गया। वही ओम प्रकाश कुमार का कहना है कि पंचायत में कई ऐसे गांव हैं जहां बिजली, सड़क, स्वास्थ्य जैसे मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। कहने को तो विकास के नाम पर कई गांवो में पक्की सडक बनी लेकिन हकीकत ये है कि निर्माण के मह•ा 6 महीने के बाद ही इन सडकों पर बड़े-बड़े गढ्ढे न•ार आने लगे हैं।

----------------------------------------------

कहती हैं मुखिया ---

फोटो-1 पीआरएन-42

ग्राम पंचायत राज मोहनी की मुखिया बीबी साहेना कहती हैं कि पिछले पांच सालों में पंचायत में मनरेगा, 13वे वित् तथा बीआरजीएफ योजना से कई कच्ची सडकों पर इट सो¨लग तथा कई पीसीसी सड़कें, आंगनबाड़ी ,कल्भर्ट का निर्माण करवाया गया है ! मुखिया कहती हैं कि अभी भी कई ऐसे विकास कार्य हैं जो अधूरे पड़े हैं!

---------------------------------------

पंचायत का प्रोफाइल

पंचायत का नाम=मोहनी

पंचायत में गांवों की कुल संख्या-07

गांवों के नाम- टीकापुर, मोहनी, मि•राबाड़ी, गेरुवा, बेतोना, बेलबाड़ी, संथाल टोल

कुल आबादी=13,807

कुल मतदाता-8,237

राशन कार्डधारी-13,055

प्राथमिक विद्यालय -04

मध्य विद्यालय-3

उच्य विद्यालय-1 (प्रस्तावित)

प्राथमिक उप स्वस्थ्य केंद्र-1

सार्वजनिक शौचालय-00

शिक्षक-69

चिकित्सक -00

पंचायत की चौहद्दी -

पूर्व-नगर पंचायत कसबा

पश्चिम-के.नगर प्रखंड की सीमा

उत्तर-ग्राम पंचायत राज लागन भमरा

दक्षिण- नगर निगम पूर्णिया


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.