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अच्छे दिन..सुशासन..जाने कौन-कौन सा चलेगा आसन

पूर्णिया। आजादी के बाद से ही जनता हर चुनाव में नए नारों व वादों के भ्रमजाल में उलझती रही है। लोकसभा

By Edited By: Published: Mon, 27 Jul 2015 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2015 01:37 PM (IST)

पूर्णिया। आजादी के बाद से ही जनता हर चुनाव में नए नारों व वादों के भ्रमजाल में उलझती रही है। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव सत्ता की चौखट तक पहुंचने के लिए हर बार नए नारे गढ़े जाते रहे हैं। इतिहास गवाह है कि सत्ता के लिए नेताओं की दलीय निष्ठा से लेकर दलों की राजनीतिक निष्ठा तक बदलती रही है लेकिन आज तक जनता की स्थिति नहीं बदल पाई है। कभी गरीबी हटाओ.. तो कभी देश बचाओ.., कभी अच्छे दिन.. तो कभी सुशासन.. के नाम पर जनता से वोट लिए जाते रहे हैं पर जनता बेचारी ही बनी हुई है। इस बार जनता इंतजार में है कि नेता उन्हें कौन सा 'आसन' कराते हैं।

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गत विस चुनाव में भाजपा और जदयू ने मिलकर राजद के खिलाफ चुनाव लड़ा था। पर इस चुनाव राजद व जदयू भाजपा के खिलाफ खड़ी है। गत चुनाव में राजद के जंगलराज के खिलाफ भाजपा-जदयू ने गठबध्ान बनाया तो यहां की जनता ने जिले की सात विधानसभा सीट में छह इसकी झोली में डाल दिया। कहा गया कि अब सुशासन आ गया। लेकिन दूसरा चुनाव आते-आते दलों का पाला बदल गया, नये गठबंधन बन गये और नेताओं के सुर बदल गये। कल तक सुशासन का ढिंढोरा पिटने वाले अब उसे कुशासन बता रहे हैं तो अच्छे दिन आएंगे का नारा लगाने वाले उसे छलावा बता रहे हैं।

इस बीच एक बार फिर चुनाव सामने आ गया है। गत चुनाव में जिले की सात विधानसभा क्षेत्र में पूर्णिया सदर, बनमनखी, बायसी और अमौर विस क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी विजयी हुए थे। वहीं रूपौली और धमदाहा विस क्षेत्र जदयू के खाते में गया था। जबकि एक मात्र कसबा सीट से विपक्षी पार्टी कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। यानि भाजपा-जदये बनाम विपक्ष का अनुपात 6:1 था। बदली परिस्थिति में भाजपा और जदयू के रिश्ते में खटास आई और दोनों दलों ने अपने रास्ते अलग कर लिए। इसी बीच बायसी विस क्षेत्र में उपचुनाव का मौका आया। बदले राजनीतिक माहौल में बायसी से भाजपा विधायक संतोष कुमार कुशवाहा ने पाला बदलकर जदयू का दामन थाम लिया और जदयू ने उन्हें लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बना दिया। जिसके बाद वहां विस उपचुनाव कराना पड़ा। पर उपचुनाव में दोनों दलों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। जनता ने भाजपा और जदयू दोनों दलों के उम्मीदवार को नकार दिया और वहां से राजद प्रत्याशी हाजी अब्दुल सुब्हान के गले में विजय माला पहनाया। वहीं लोकसभा चुनाव में भी यहां की जनता ने देश के मिजाज से अपनी अलग राय जतायी। पूरे देश में भाजपा की लहर के बावजूद पूर्णिया में जदयू के उम्मीदवार संतोष कुमार कुशवाहा ने जीत दर्ज कर सबों को चौंका दिया। अब जबकि विधानसभा चुनाव सामने है सूबे का राजनीतिक परिदृश्य गत चुनाव की तुलना में बिल्कुल बदल गया है। 'अच्छे दिन' और 'सुशासन' एक दूसरे के विरोध में खड़े हैं। नये गठबंधन तैयार हो गये हैं। एक दूसरे के घोर विरोधी राजद और जदयू इस बार मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। अब देखना है कि इस चुनाव अच्छे दिन और सुशासन का जोर चलता है या फिर कोई और नया 'आसन' जनता से कराया जायेगा?


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