स्मार्ट सिटी अभियान: बढ़ रही टैक्स वसूली, नहीं बढ़ रही सुविधाएं
पूर्णिया। नगर निगम की टैक्स वसूली हर साल बढ़ रही है किंतु उस अनुरूप नहीं बढ़ रही है नागरिक सुविधाएं।
पूर्णिया। नगर निगम की टैक्स वसूली हर साल बढ़ रही है किंतु उस अनुरूप नहीं बढ़ रही है नागरिक सुविधाएं। निगम की वार्षिक बैठक में हर साल करोड़ों का बजट तैयार होता है पर लोगों की समस्याएं कम नहीं होती। गंदगी, गंदा पेय जल, अंधेरी गलियां और जलजमाव से अब तक शहर वासियों को निजात नहीं मिल पाया है।
पिछले तीन सालों में नगर निगम को विभिन्न स्रोतों से आय लगातार बढ़ रही है। वित्तीय वर्ष 12-13 में जहां टैक्स एवं अन्य स्रोतों से आय 2,53,53,586 हुई थी वहीं वर्ष 13-14 में 2,94,86,605 तथा वर्ष 14-15 में यह 4,49,51,410
रुपये पहुंच गई। यानि तीन वर्षो में निगम की आय दोगुनी बढ़ गई लेकिन शहरवासी बुनियादी सुविधाएं तलाश रहे हैं। शहर वासियों से होल्डिंग टैक्स के अलावा वाटर टैंक, स्टॉल रेंट, निलामी, डाक, पार्क, बुचड़खाने से, गुदरी हाट से, रिक्शा-ठेला से, ट्रेड लाइसेंस, मोबाइल टावर, मोटेशन, वेंडर आदि कई से वसूली की जाती है जिससे बड़ी रकम निगम को प्राप्त हो जाती है। लेकिन टैक्स से मिली राशि से जनता को सुविधाएं नहीं मिल पाती है।
चालू वित्तीय वर्ष 14-15 के लिए निगम में एक अरब 17 करोड़ का बजट पारित किया गया। इस बजट में शहर की सफाई पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया गया था। इसके अलावा शहर में राजीव आवास योजना लागू किये जाने पर भी चर्चा हुई थी। हर वार्ड में राजीव आवास योजना के लिए सर्वेक्षण किये जाने एवं लाभुकों के चयन के लिए प्रस्ताव पारित किये गये। वहीं कूड़ेदान खरीद के लिए भी अनुमोदन लिया गया था। साथ ही सैरात बंदोबस्ती का अनुमोदन भी बजट में लिया गया। लाइन बाजार चौक से गंगा-दार्जिलिंग पथ में 255 मीटर के बाद रजनी चौक तक पथ के चौड़ीकरण कार्य कराने का निर्णय भी बोर्ड की बैठक में लिया गया। बैठक में निगम स्थित सड़कों एवं चौक-चौराहों के नामकरण पर भी विचार विमर्श किया गया। गृहकर के दर एवं सड़क के वर्गीकरण की स्वीकृति का अनुमोदन, सरकार द्वारा प्रशासनिक भवन रिपेयर मद में प्राप्त राशि के व्यय पर विचार, रिक्शा व ठेला के निबंधन शुल्क पर विचार सहित अव्यवहृत सामानों की निलामी की स्वीकृति का अनुमोदन भी बोर्ड की बैठक में लिया गया। लेकिन बजट में लिए गए उक्त निर्णय आज भी अधूरे हैं। बजट में किए गए प्रावधान के प्रति निगम कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर में हर चौक-चौराहे पर गंदगी बजबजा रही है और निगम आज तक कूड़ा निस्तारण के लिए जमीन तक नहीं खरीद पायी है। शहर की सड़कें आज भी जर्जर हैं। जो बननी शुरू भी हुई हैं तो गुणवत्ता का घोर अभाव है। यही हाल पेय जल का भी है। आज तक लोगों को शुद्ध पेय जल उपलब्ध नहीं हो पाया है।
इससे पूर्व वित्तीय वर्ष 31-14 के लिए भी 32,14,88,733 रुपये का बजट पारित किया गया था। उक्त बजट में भी शहर के सौंदर्यीकरण के अलावा सफाई, जन शौचालय, सड़क निर्माण, नाला निर्माण, वाहन पार्किंग स्पर ग्रांट आदि निर्माण का संकल्प लिया गया था। लेकिन आज तक शहरवासियों की उक्त समस्याएं बरकरार हैं।
पूर्णिया को नगर निगम का दर्जा मिले चार साल हो गये हैं मगर यहां की जनता को इससे कुछ खास लाभ नहीं मिल पाया है। नगरीय सुविधाओं में कुछ खास इजाफा नहीं हो पाया है। जन सुविधाओं की बदहाली से नागरिक परेशान हैं। यहां जल जमाव की समस्या विकराल है, शुद्ध पेयजल का अभाव है, शहर कचरे से पटा है, बांस-बल्ले पर बिजली के तार दौड़ रहे हैं, पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ नहीं बन पाये। लेकिन निगम की आय हर साल बढ़ रही है। तीन साल में टैक्स वसूली दूनी हो चुकी है और आगे आय और भी बढ़ने की उम्मीद है। लोगों का कहना है कि यदि निगम की आमदनी बढ़ रही है तो उस अनुरूप लोगों को सुविधाएं भी बढ़नी चाहिए।
क्या कहते हैं शहरवासी-
शहरवासी प्रेम कुमार कहते हैं कि निगम की आय हर साल बढ़ रही है। हर वर्ष यहां करोड़ों का बजट तैयार होता है पर शहरवासियों से वसूले जाने वाले टैक्स की राशि का सदुपयोग नहीं हो पाता है। इस मुद्दे पर उन्होंने विभाग को 10 में 4 अंक दिये हैं।
संजय कुमार कहते हैं कि हर साल होल्डिंग टैक्स से लेकर अन्य टैक्स बढ़ जाते हैं लेकिन लोग निगम की गतिविधियों से अनजान हैं। धरातल पर नागरीय सुविधाएं के लिए किए गए कार्य नजर नहीं आते हैं। उन्होंने विभाग को 10 में तीन अंक दिए हैं।
दिलीप कुमार कहते हैं कि पूर्णिया को निगम का दर्जा तो दे दिया गया है लेकिन यहां बड़े शहरों की तरह कुछ भी सुविधाएं नहीं हैं। हर साल जनता से निगम के स्तर का टैक्स ले लिया जाता है किंतु उस अनुरूप सुविधाएं नहीं दी जाती। उन्होंने निगम को 2 अंक दिए हैं।
श्रवण कुमार कहते हैं कि जन सुविधाओं के लिए कराए जा रहे कार्य धरातल पर नजर नहीं आते हैं। सुविधाओं के नाम पर पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे हैं लेकिन लोगों की समस्याएं दूर नहीं हो रही है। सफाई, स्ट्रीट लाइट, नाला सफाई के नाम पर निगम बनने के बाद अब तक करोड़ों रुपये फूंक दिए गए हैं लेकिन ये समस्याएं आज भी जस की तस हैं। इस संबंध में उन्होंने निगम को 10 में 2 अंक दिए हैं।
हरिओम कहते हैं कि निगम हर साल भले ही करोड़ों का बजट बना लेती है लेकिन आम जनता को उसका लाभ नहीं मिल पाता है। शहर के सौंदर्यीकरण, साफ-सफाई के नाम पर जनता से पैसे जरूर लिए जाते हैं लेकिन उस अनुरूप सुविधाएं नहीं दी जाती हैं। उन्होंने निगम को इसके लिए 4 अंक दिए हैं।