मातम व बलिदान का पर्व है मुहर्रम
जानकीनगर (पूर्णिया), निसं: मुहर्रम का महीना मुस्लिम श्रद्धालुओं के लिए विशेष माना जाता है। हसन व हुस
जानकीनगर (पूर्णिया), निसं: मुहर्रम का महीना मुस्लिम श्रद्धालुओं के लिए विशेष माना जाता है। हसन व हुसैन की यादों में प्रत्येक वर्ष मुहर्रम के महीने में ताजिया एवं जुलूस निकालकर उनके याद में मातम मनाते हैं। मिली जानकारी अनुसार मुहर्रमुल हराम इस्लामी साल का पहला महीना है। साल के आखिरी महीने में भी कुर्बानी है और आखिरी महीने में भी जान की कुर्बानी है। पहले माह में हजरत इमाम हुसैन आली मकाम ने अपने खानदान वालों की जान की कुर्बानी पेश की थी। श्रद्धालुओं का मानना है कि हहर्रमुल हराम का महीना बड़ी आजमतों वाला होता है। अजमत वाले महीनों में अजमत वाले नबी रसूले अकरम सअवसल्लम के अजमत वाले नवासे हजरत इमाम आली मकाम ने अपने जानों की कुर्बानी पेश करके इस्लाम को बचाया था। मातम व बलिदान का यह पर्व महाराजगंज-01 स्थित चकमका, ध्रुवविलास, जोरगंज, मधेपुरा व पूर्णिया की सीमा पर स्थित जोराबरगंज, मिरचाईबाड़ी के इस्लामपुर, फुटानी चौक, मोहनियां चकला में चांद बेला व बेला वदन, लादूगढ़ के तेतराही, रूपौली दक्षिण के भित्ता टोला, रमजानी रनगाह, मधुबन के वृंदावन एवं रामनगर तिलक सहित कई अन्य गांवों में मुस्लिम बिरादरी के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसे लेकर सर्वत्र तैयारियां चल रही है। मो. खुर्शीद आलम एवं मो. जाबुल बताते हैं कि आगामी मंगलवार को विभिन्न गांवों का भ्रमण करते हुए ताजिया जुलूस निकलेगा एवं संध्याकाल में रनगाह पर मेले का आयोजन होगा जहां विभिन्न क्षेत्रों से आए विरादरी के भाईयों द्वारा जलवा दिखाया जाएगा। बहरहाल इस त्योहार को लेकर तैयारी अंतिम चरण में है तो दूसरी ओर सुरक्षा व शांति के मद्देनजर शुक्रवार को थाना परिसर में शांति समिति की बैठक भी की जा चुकी है।