सुरों से सजी महफिल और कलम की दिखी ताकत
पटना। एएन कॉलेज के युवा महोत्सव 2017 में दूसरे दिन गुरुवार को भी युवाओं की प्रतिभा का जादू सिर चढ़कर बोल रहा था।
पटना। एएन कॉलेज के युवा महोत्सव 2017 में दूसरे दिन गुरुवार को भी युवाओं की प्रतिभा का जादू सिर चढ़कर बोलता रहा। फिजाओं में उनके तराने गूंज रहे थे। सुरों की महफिल सजी थी और युवा जोश उसे परवान चढ़ा रहा था। नए से पुराने तक, कव्वाली से क्लासिकल तक और ¨हदी से भोजपुरी तक के नगमे एक के बाद एक पेश किए जा रहे थे। कॉलेज के छात्र इतनी सधी आवाज में गा रहे थे, जैसे कि वो पेशेवर गायक-गायिका हों। जजों के लिए यह तय करना मुश्किल हो रहा था कि किसे कम और किसे अधिक अंक दें। युवा महोत्सव में गायन प्रतियोगिता इस भ्रम को भी तोड़ रहा था कि युवा वर्ग लोक गीतों से दूर होता जा रहा है। युवाओं ने लोकभाषाओं में खूब गीत गाए और सबसे अधिक सराहना भी इसी पर मिली। छात्र-छात्राओं ने समूह गायन भी पेश किया।
मुकुट ने 'भगवान बड़ी फुर्सत से तोहरा के बनवले बाड़े..' सुनाया तो सारे युवा मतवाले होकर डांस करने लगे। गीत खत्म हुआ तो वन्स मोर की आवाज गूंज उठी। सुधीर चौबे ने जब 'जा ए चंदा ले आवा खबरिया..' गाया तो पूरी महफिल झूम उठी। आलम कुछ ऐसा हो रहा था कि नियंत्रण करने वाले खुद डांस करने लग रहे थे। शशांक ने जब 'सुन रहा है न तू रो रहा हूं मैं..' गाया तो सारे लोग उसके सुर में सुर मिलाने लगे। रहमत ने अपनी खूबसूरत आवाज में 'कोई नजराना लेकर आया हूं..' गाकर खूब तालियां बटोरीं। लता का अमर गीत 'लग जा गले कि फिर हसीं रात हो न हो..' आज भी युवा धड़कनों की पसंद बना हुआ है। इस गीत को पहले संजना ने और फिर प्रिया ने पेश किया। उत्कर्ष ने 'तीजा तेरा रंग था मैं तो..', नेहा ने 'कमली-कमली..' और आर्याराज ने 'धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना..' सुनाकर रंग जमा दिया। रितिक विराज पाडे ने अपनी सात सदस्यीय टीम के साथ कव्वाली पेश की तो सबका दिल बाग-बाग कर उठा। नीरज, प्रीतम, गुड़िया, नीरा, गौतम, इंतखाब, प्राची, शिवम, अनुप्रिया, आफरीन, अंकिता, सत्येंद्र, शिखा, पल्लवी, राधिका, शालू, समीक्षा, खुशबू आदि ने भी गीत सुनाए। शाम में तीन घंटे से भी अधिक देर तक सुरों की महफिल सजी रही। सुबह में बुधवार को नृत्य प्रतियोगिता में भाग लेने से वंचित रह गए प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति दी। छात्रों की प्रतिभा देख प्रधानाचार्य शशि प्रताप शाही और तमाम शिक्षकों का हृदय गदगद हो रहा था। कई दिनों से महोत्सव को लेकर रात-दिन एक करने वाले राजनीति विज्ञान के प्रो. संजय कुमार को भी अपनी मेहनत सफल होती दिख रही थी। जश्न का माहौल देर शाम तक बना रहा। छात्रों का हौसला बढ़ाने बीएन कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. राजकिशोर प्रसाद भी महोत्सव में पहुंचे। एएन कॉलेज 'आनंद से निहाल कॉलेज' बना रहा।
इससे पहले गुरुवार को गायन के अलावा निबंध प्रतियोगिता, वादविवाद, आशु भाषण आदि प्रतियोगिताएं भी हुई। गायन को जज कर रही थीं डॉ. प्रतिभा सहाय व डॉ. सीपी सिन्हा। निबंध प्रतियोगिता को डॉ. बद्री नारायण सिंह, डॉ. चंद्रकांता व डॉ. श्यामकिशोर प्रसाद ने जज किया। वादविवाद प्रतियोगिता में विजेता का फैसला डॉ. विजय कुमार व डॉ. बबन सिंह कर रहे थे। डॉ. प्रीति सिन्हा व डॉ. शबाना करीम ने भी जजमेंट में भागीदारी की। गायन में 90, निबंध में 150, वादविवाद में 60 और आशु भाषण में 32 प्रतिभागी शामिल हुए। प्रधानाचार्य ने कहा कि महोत्सव से छात्र-छात्राओं को अपनी छिपी प्रतिभा का जौहर दिखाने का मौका मिला है। उनकी प्रतिभा निखरी है। यह आयोजन लगातार किया जाएगा। शुक्रवार को सभी प्रतियोगिताओं का परिणाम जारी किया जाएगा और विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाएगा। इससे पहले शुक्रवार को अभिनय, नुक्कड़ नाटक, मंचीय नाटक, कॉमेडी आदि का आयोजन होगा।