Move to Jagran APP

यूपी की राजनीति से अछूता नहीं बिहार, लालू-नीतीश के लिए चुनौती बन सकते हैं योगी

यूपी के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्टाइल बिहार के शीर्ष नेताओं के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकता है। योगी का पकड़ बिहार के गोपालगंज समेत कई जिलों में है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sun, 19 Mar 2017 05:14 PM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2017 11:55 PM (IST)
यूपी की राजनीति से अछूता नहीं बिहार, लालू-नीतीश के लिए चुनौती बन सकते हैं योगी

पटना [अरविंद शर्मा]। वाराणसी में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जबकि गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। यानी यूपी के नजरिए से भाजपा के दो सबसे बड़े नेताओं के गढ़ बिहार बॉर्डर पर हैं। अगले लोकसभा चुनाव में इसका असर दिखेगा।विधानसभा चुनाव में मोदी फैक्टर की धज्जियां उड़ाने वाले महागठबंधन को मिशन-2019 में मोदी-योगी फैक्टर से निपटने के लिए नए सिरे से बिसात बिछानी होगी।

loksabha election banner

राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि यूपी के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सियासी शैली से बिहार अछूता नहीं रह सकता। योगी का फायरब्रांड स्टाइल बिहार के गैर-भाजपा नेताओं को उनकी रणनीति पर नए सिरे से मंथन करने के लिए बाध्य कर सकता है।

खासकर पूर्वांचल से सटी भोजपुरी व मगही पट्टी में भाजपा यूपी जैसा ध्रुवीकरण कराने का प्रयास करेगी। भोजपुरी पट्टी को लालू प्रसाद का गढ़ माना जाता है तो मगध पर नीतीश कुमार की मजबूत पकड़ है। ऐसे में इस अंचल में महागठबंधन की एकता, सुशासन की छवि और सामाजिक न्याय की ताकत की परीक्षा होना तय है।

यह भी पढ़ें:  योगी आदित्यनाथ पर बिहार के सियासी गलियारों में बयानबाजी तेज

मिशन-2019 के नजरिए से बिहार की 40 लोकसभा सीटें भाजपा के लिए बहुत मायने रखती हैं। पिछली बार भाजपा ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर इनमें 31 सीटें जीत ली थीं। हालांकि महज दो साल बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा इस कामयाबी को बनाए नहीं रख सकी। नीतीश-लालू के सामाजिक समीकरण के आगे मोदी लहर का असर कमजोर पड़ गया।

अब यूपी की कमान योगी आदित्यनाथ जैसे आक्रामक हिन्दुत्ववादी नेता को देकर भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव की रणनीति को ही आगे बढ़ाने की पहल की है। बनारस के बाद गोरखपुर को गौरवान्वित करने के पीछे भाजपा की मंशा सूबे की पश्चिमी सीमा से नीतीश एवं लालू की सियासी ताकत पर लगातार हमले जारी रखने की है।

यह भी पढ़ें:  लालू ने सुमो पर किया कटाक्ष- तुम भी सिर छिलवा लो, कुछ भला हो जायेगा

यूपी में अखिलेश यादव की हार के बाद गैर भाजपाई दल राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए एक सर्वमान्य चेहरे की तलाश में हैं। ऐसे में सबकी नजर नीतीश कुमार पर टिकी हुई है। भाजपा नेतृत्व को इसका अहसास है। यही कारण है कि भाजपा ने नीतीश कुमार पर अभी से चौतरफा घेरा डालने की रणनीति पर अमल शुरू कर दिया है।

फिर बदलेगा चुनाव प्रबंधन

यूपी में सियासी उलटफेर के बाद बिहार के गैर-भाजपा दल मंथन के दौर से गुजर रहे हैं। प्रशांत किशोर की कोशिश के बावजूद कांग्र्रेस की दुर्गति के बाद चुनाव प्रबंधन के नए फॉर्मूलों पर विचार किया जा रहा है। यूपी चुनाव में अत्यंत पिछड़ी जातियों (ओबीसी) और सवर्णों के ध्रुवीकरण का खासा असर देखा गया।

महागठबंधन की असल चिंता है कि भाजपा जब बिहार में भी योगी के एजेंडे पर काम करेगी तो उससे कैसे निपटा जा सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान योगी की बिहार में एंट्री नहीं हुई थी किंतु आगे ऐसा नहीं होने जा रहा। योगी दमखम से आएंगे। ऐसे में जदयू, राजद एवं कांग्रेस अपनी रणनीति बदल सकते हैं।

यह भी पढ़ें:  पासवान बोले, पीएम मोदी ने कभी नहीं की राम मंदिर बनाने की चर्चा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.