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बिहार विधानसभा : मैदान की कड़वाहट सदन में पिघली

16वीं बिहार विधानसभा के दूसरे दिन नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ ग्रहण किया। सोमवार को ही विधायकों को शपथ ग्रहण करना था, लेकिन हरलाखी के रालोसपा विधायक बसंत कुमार के निधन के चलते कार्यवाही स्थगित हो गई थी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2015 10:37 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2015 07:03 PM (IST)
बिहार  विधानसभा : मैदान की कड़वाहट सदन में पिघली

पटना। चुनाव के दौरान मैदान की कड़वाहट सदन में पिघलती नजर आई। 16वीं विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्य जब मंगलवार को सदन में एक साथ मिले तो सारी शिकायतें हवा हो गईं। तल्खी का नामोनिशान न था।

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शपथ लेने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी जब सीएम नीतीश कुमार के पास से गुजरे तो दोनों ने एक-दूसरे का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। मखदुमपुर से मांझी को हराने वाले राजद विधायक सूबेदार दास ने तो करीब जाकर मांझी से हाथ भी मिलाया।

दूसरी ओर से भी उन्हें ऐसा ही सम्मान मिला। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी ने भी सभी वरिष्ठ विधायकों के प्रति बारी-बारी से खड़े होकर सम्मान जताया। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कई सदस्यों ने प्रेम कुमार, नंद किशोर यादव एवं जीतनराम मांझी जैसे वरिष्ठ सदस्यों के प्रति भरपूर सम्मान प्रकट किया।

एक-दूसरे के प्रति लगाव-झुकाव के भाव की शुरुआत उसी समय हो गई थी, जब सबसे पहले तेजस्वी यादव ने विधानसभा सदस्यता की शपथ ली थी। शपथ लेने के बाद सभी सदस्यों ने मेजें थपथपाकर उनका स्वागत किया।

रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद तेज प्रताप को जब समझ में नहीं आया कि आगे क्या किया जाए तो मुख्यमंत्री ने उन्हें रास्ता दिखाया और संकेत किया कि प्रोटेम स्पीकर के पास जाकर उनका अभिभावदन करें। शपथ पत्र को पढऩे के दौरान कतिपय सदस्यों द्वारा की जा रही भाषाई गलतियों पर सदस्यों ने दूसरे को गाइड भी किया।

परस्पर सहयोग की इस भावना से यह साफ है कि सदन में बिहार के विकास से संबंधित सकारात्मक चर्चा होगी और आम आदमी के हित में दोनों ओर का स्वर एक दिखेगा।

233 विधायकों ने ली शपथ

कुल नवनिर्वाचित 243 में से 233 विधायकों ने मंगलवार को सदन की सदस्यता की शपथ ली। सबसे पहले उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव फिर स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव एवं वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी समेत अन्य मंत्रियों को वरियता क्रम से शपथ दिलाई गई।

मंत्रियों के बाद जदयू विधायक एवं पूर्व मंत्री विजय कुमार चौधरी तथा नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार ने शपथ ली। कार्यवाही शुरू होते ही प्रोटेम स्पीकर सदानंद सिंह ने सबसे पहले मंत्रियों को सदन की सदस्यता की शपथ दिलाई।

इसके बाद विधानसभा क्रमांक के हिसाब से एक-एक कर सदस्यों को शपथ दिलाई गई। प्रोटेम स्पीकर को राज्यपाल ने 29 नवंबर को ही शपथ दिला दी थी। सत्र सोमवार को ही शुरू हो गया था, लेकिन हरलाखी के रालोसपा विधायक बसंत कुमार के निधन के कारण कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।

पांच मंत्रियों ने बाद में ली शपथ

प्रथम पाली में जब शपथ कार्यक्रम शुरू हुआ तो पांच मंत्री अनुपस्थित थे। इन्हें दूसरी पाली में शेष विधायकों से पहले शपथ दिलाई गई। ऐसे मंत्रियों में मंजू वर्मा, चंद्रशेखर, खुर्शीद अहमद, मुनेश्वर चौधरी और कपिलदेव कामत शामिल हैं।

शपथ नहीं ले सके आठ सदस्य

सदन में मौजूद नहीं रहने के कारण आठ विधायक शपथ नहीं ले सके। नियम के मुताबिक अब उन्हें नए अध्यक्ष ही शपथ दिलाएंगे। ऐसे सदस्यों में अब्दुर्रहमान (अररिया), डॉ. जावेद (किशनगंज), रमेश सिंह कुशवाहा (जीरादई), सत्यदेव राम (दरौली), जितेंद्र राम (मढ़ौरा), नरेंद्र कुमार नीरज (गोपालगंज), अनंत कुमार सिंह (मोकामा), रवींद्र यादव (झाझा) शामिल हैं।

क्षेत्रीय भाषाओं का भी दिखा महत्व

अधिकांश विधायकों ने हिन्दी में ही शपथ ली, लेकिन सदन में क्षेत्रीय भाषाओं का भी महत्व दिखा। सात विधायकों ने मैथिली, छह ने उर्दू तथा एक-एक ने संस्कृत एवं अंग्र्रेजी को भी तरजीह दी।

मैथिली : भावना झा, सीताराम यादव, समीर महासेठ, जीवेश कुमार, रामप्रित पासवान, संजय सरावगी, अमरनाथ गामी।

उर्दू : मंत्री अब्दुल गफूर, फैयाज अहमद, मो. नेमतुल्ला, नौशाद आलम, मुजाहिद आलम, अब्दुस सुबहान।

संस्कृत : मिथिलेश तिवारी (बैकुंठपुर)

अंग्र्रेजी : फराज फातमी (केवटी)


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