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किससे मांगे मदद, जब खुद डरी-सहमी दिखती है पटना की महिला हेल्पलाइन

पटना की महिला हेल्पलाइन को खुद मदद की दरकार है। एक बार जो पीड़ित यहां आती है उसे दोबारा आने पर सोचना पड़ता है। यहां महिलाओं के ठहरने के लिए सुविधा नहीं है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 04:18 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 02:26 PM (IST)
किससे मांगे मदद, जब खुद डरी-सहमी दिखती है पटना की महिला हेल्पलाइन
किससे मांगे मदद, जब खुद डरी-सहमी दिखती है पटना की महिला हेल्पलाइन

अंकिता भारद्वाज, पटना। बिहार की राजधानी में राज्य सरकार द्वारा संचालित महिला हेल्प लाइन 'हेल्प' शब्द को कुछ अलग तरह से ही चरितार्थ कर रही है। छज्जुबाग स्थित महिला हेल्पलाइन की हालत देखकर तो लगता है कहीं ये खुद न 'हेल्प' मांगने लगे। महिलाओं की सुरक्षा पर चलाए जा रहे अभियान को मुंह चिढ़ाती हेल्पलाइन में पीड़िताओं के 24 घंटे ठहरने की व्यवसथा तक नहीं है। आलम ये है कि काउंसलिंग या अन्य प्रक्रियाओं के दौरान रात हो जाए, तो पीडि़ता कहां रहेगी, ये सवाल रोजाना यहां बना रहता है।

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वन स्टॉप सेंटर से कुछ देर का सहारा

महिला हेल्पलाइन की प्रोजेक्ट मैनेजर प्रमिला कुमारी बताती हैं, नियमों के मुताबिक पीड़िता को 24 घंटे तक ठहरने की व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन ऐसी कोई सुविधा यहां नहीं है। फिलहाल हेल्पलाइन के तहत कार्यरत वन स्टॉप सेंटर में पीड़िता को चार से आठ घंटे तक ही रख सकते हैं। उसके बाद हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

जल्द निबटा दिए जाते हैं दूसरे जिलों के मामले

महिला हेल्पलाइन के वन स्टॉप सेंटर में अब तक आवश्यक सुविधाएं प्रारंभ नहीं की गई हैं। न रसोइया और न ही सुरक्षा गार्ड बहाल किए गए हैं। यहां आने वाली महिलाओं को एजेंसी से खाना मंगवा कर देना पड़ता है। सुरक्षा की व्यवस्था नहीं होने से रात में किसी महिला को ठहरने नहीं दिया जाता। प्रमिला बताती हैं, दूसरे जिले से केस आने पर जल्द से जल्द निपटाने की कोशिश की जाती है, ताकि महिला को रात के वक्त रोकना न पड़े।

कहां रुकेगी पीड़िता, निर्धारित नहीं स्थान

प्रमिला बताती हैं, अगर किसी दिन कोई बड़ी घटना हो जाती है तो महिला को रखने की कोई सुविधा नहीं है। पीड़िता को राजधानी में कहां रखने की व्यवस्था है, इसकी भी जानकारी नहीं है। मामला सामने आने पर उच्च अधिकारी से अनुमति लेनी होगी। उसके बाद ही पीड़िता को निर्धारित स्थान पर शिफ्ट कर सकते हैं।

पांच की बजाय केवल दो काउंसलर

महिला हेल्पलाइन में मानव संसाधन की कमी साफ तौर पर दिखाई देती है। दो महिला काउंसलर के सहारे हेल्पलाइन चल रही है। सरकार द्वारा पांच काउंसलर रखने की घोषणा की गई थी। काउंसलर की कमी के चलते केस के निपटारे में भी देरी होती है। यहां भी समस्या लेकर आ आने वाली महिलाओं को इंतजार करना पड़ता है।


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