जब अपनों ने लगाया गले तो भूल गए सुरक्षा के सारे तामझाम
पटना सिटी के बेलवरगंज की तंग गलियों का भाग्य! सुशासन के प्रतीक और विकास के प्रति संकल्पित एक राजनेता गुरुवार को यहां घर-घर दस्तक दे रहा था। सबसे मिलकर आत्मीय संवाद और विकास की बातें कर रहा था।
पटना [अरविंद शर्मा]। पटना सिटी के बेलवरगंज की तंग गलियों का भाग्य! सुशासन के प्रतीक और विकास के प्रति संकल्पित एक राजनेता गुरुवार को यहां घर-घर दस्तक दे रहा था। सबसे मिलकर आत्मीय संवाद और विकास की बातें कर रहा था।
अपनापन और गर्मजोशी भरे स्वागत की गर्मी से पसीने से लथपथ, लेकिन चेहरे पर शिकन तक नहीं। बारिश और कीचड़ के बावजूद कदम नहीं रुक रहे थे।
जदयू के हर घर दस्तक कार्यक्रम के तहत पटना सिटी में मां पटनदेवी के दर्शन के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पहला कदम बेलवरगंज में पड़ा। साथ में थे राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह, एमएलसी ललन सर्राफ और मेयर अफजल इमाम।
गोविंद कनोडिया रास्ता दिखाते हुए आगे-आगे चल रहे थे। हजारों के हुजूम के बीच तंग गलियों से गुजरते हुए मुख्यमंत्री सबसे पहले रंगोली पेंट दुकान के पास कृष्णा प्रसाद के घर पहुंचे। वहां पहले से ही उनकी प्रतीक्षा हो रही थी।
घर की महिलाओं और बच्चों में भारी उत्साह था। सीएम आए तो सेल्फी के लिए भी बच्चे मचलने लगे। नीतीश ने किसी को निराश नहीं किया। धक्का-धुक्की के साथ काफिला आगे बढ़ा।
मुख्यमंत्री सुरक्षा की भी परवाह नहीं कर रहे थे। दर्जनों घरों में अचानक घुसकर अपनी शैली में संवाद कर रहे थे। हवा-हवाई बातें नहीं। कोई वादा भी नहीं, सिर्फ मिलने का इरादा।
मुलाकात का तरीका भी ऐसा कि खुद को भाग्य विधाता के रूप में नहीं, बल्कि आम आदमी की तरह सहज-सुलभ और विनम्र। लोगों को नीतीश कुमार का यह रूप पसंद पड़ रहा था। समर्थन का भरोसा तो पहले ही मिल जाता था।
फिर भी मुख्यमंत्री यह पूछना नहीं भूल रहे थे कि मेरी सरकार में राज्य का विकास हुआ या नहीं। कानून व्यवस्था में सुधार है या नहीं। आखिरी सवाल होता था कि क्या आप लोग चाहते हैं कि सरकार की दोबारा वापसी हो?
कई घरों में नीतीश कुमार को दस्तक देने की जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि वहां के लोग पहले से ही अपने-अपने घरों से निकलकर स्वागत के लिए बाहर आ गए थे। बेलवरगंज के महादलित टोले की गलियां तो पांच फीट से भी कम चौड़ी थी।
उमस से परेशान भीड़ को संभालना मुश्किल हो रहा था। लोग एक-दूसरे से चिपक रहे थे, गिर रहे थे। ऐसे में नीतीश कुमार की हिफाजत में उनके एक सुरक्षाकर्मी को खरोंच भी आई, लेकिन उफ तक नहीं। गिला-शिकवा भी नहीं।
बेलवरगंज से निकलकर काफिला मित्तन घाट स्थित खानकाह पहुंचा जहां नीतीश कुमार ने चादरपोशी की और शिवमाल चक के लिए रवाना हो गए। मुख्यमंत्री के काफिले के पीछे-पीछे किट में नारे लिखे स्टीकर बांटे जा रहे थे।
ऐसे स्टीकर घरों और दीवारों पर भी चिपके नजर आ रहे थे। बारिश की हल्की फुहार तो कब की खत्म हो गई थी, लेकिन गलियों में फिर एक बार नीतीश कुमार के स्लोगन का टेप गूंज रहा था। शिवमाल चक में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की जगह वही थी, जहां कुछ दिन पहले पर्चा पर चर्चा हो चुकी थी।
एक करोड़ घरों में देंगे दस्तक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटनदेवी परिसर में मीडिया को बताया कि प्रदेश के एक करोड़ घरों पर दस्तक देनी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इसकी शुरुआत की है। आज से जदयू के प्रत्येक सदस्य कम से कम दस घरों में जाकर अपनी बात कहेंगे और उनकी सुनेंगे। कार्यक्रम दो चरणों में चलना है, जो पहले से ही तय है। पहला चरण 2 से 11 और दूसरा 21 से शुरू होकर 30 जुलाई तक चलेगा।