इस बिहारी पुलिस अधिकारी के लाखों फैन, विरासत को भी सहेजने का कर रहे काम
बिहार के पॉपुलर पुलिस ऑफिसर विकास वैभव के बारे में कहा जाता है कि वे कानून को लागू करने में जितने सख्त हैं, उतने ही पब्लिक फ्रेंडली भी हैं।
पटना [जेएनएन]। बिहार के पॉपुलर पुलिस ऑफिसर विकास वैभव बाहुबली नेता अनंत सिंह को गिरफ्तार कर सुर्खियों में आए थे। फेसबुक पर एक लाख से अधिक फॉलोअर्स के साथ वे बिहार के सबसे पॉपुलर पुलिस ऑफिसर बन चुके हैं। विकास वैभव एनआइए में रहने के अलावा पटना में एसएसपी भी रहे हैं। फिलहाल वे भागलपुर रेंज के डीआइजी पद पर कार्यरत हैं।
विकास वैभव के बारे में कहा जाता है कि वे कानून को लागू कराने में जितने सख्त हैं, उतने ही पब्लिक फ्रेंडली भी हैं। बोधगया और पटना के गांधी मैदान के सीरियल बम ब्लास्ट के पीछे की हर साजिश का खुलासा विकास वैभव ने ही किया था। साथ ही इंडियन मुजाहिद्दीन के स्लीपर सेल को भी उन्होंने तहस-नहस किया और नेपाल तक ऑपेरशन को अंजाम दिया था।
विकास वैभव फिलहाल भागलपुर में अपना योगदान दे रहे है। इनका दरबार आम जनता के लिए हमेशा खुला रहता है। बिना किसी रोक-टोक के लोग अपनी समस्या के समाधान के लिए इनके पास आते हैं। इनके कार्यप्रणाली का यह असर अब भागलपुर के थानों में दिख रहा है। इलाके के किसी भी थाने की पुलिस में ये हिम्मत नहीं रही कि वह एफआइआर दर्ज कराने आये पीड़ितों को दौड़ा-दौड़ा कर परेशान करें।
विकास वैभव के पब्लिक फ्रेंडली होने का ही यह असर है कि अब वे फेसबुक पर बिहार के सबसे पॉपुलर पुलिस ऑफिसर बन चुके हैं। इनके फेसबुक पेज ने एक लाख से अधिक लाइक्स प्राप्त किया है और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। यह पेज कुछ महीने पहले ही बना था। फेसबुक बता रहा है कि विकास वैभव का पेज बहुत ही रेस्पॉन्सिव है। क्राइम डिटेक्शन में भी विकास वैभव को सोशल मीडिया के टूल का बेहतर प्रयोग करने वाला अधिकारी माना जाता है।
इन सब से हटकर एक बात यह भी है कि विकास वैभव को इतिहास में काफी दिलचस्पी है। ऐतिहासिक विरासत को सहेजने और संवारने में भी ये जुटे हुए हैं। जब भी इन्हें मौका मिला है, ये निकल पड़ते हैं इतिहास के विस्मृत पृष्ठों के बारे में उभरते हुए नए तथ्यों तथा खोजों के बारे मे भी जागृति पैदा करने।
विकास वैभव का कहना है कि जब मैंने विद्यार्थी जीवन में इतिहास पढ़ना प्रारम्भ किया तभी से मुझे ऐसा लगता था की कहीं न कहीं लोगों की समझ में कुछ कमी है और शायद मैं कुछ नए रहस्योद्घाटन करने में अपनी भूमिका निभा सकता हूँ I
जब इतिहास के पृष्ठों में मैं और गहनता से प्रविष्ट होता गया तो मैंने पाया की आज के सन्दर्भ में इतिहास का हमारा ज्ञान जो लगभग अंग्रेजों के भारत आगमन के पश्चात करीब पिछले २०० वर्षों के दौरान किये गए अध्ध्यनों तथा शोधों पर आधारित है, वह अभी भी पूर्णतः परिपक्व नहीं है और नित प्रतिदिन हो रही नयी खोजों से नए आयाम प्राप्त कर रही है I
इतिहास के अनेक रहस्य जहाँ अभी तक बिलकुल अनसुलझे हैं वहीँ उनके बारे में विभिन्न विचारधाराओं से प्रभावित इतिहासविदों ने भिन्न भिन्न परिकल्पनाएं की हैं और उन्हें मौलिक इतिहास के रूप में प्रस्तुत कर स्वीकार कराने का हठी प्रयास भी किया है I