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हो जाएं सचेत और अपने ही बैंक के एटीएम का करें इस्तेमाल, यह जरूरी है

साइबर ठगी ने पुलिस की नींद उड़ा दी है। बैंकों के रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन नहीं किया जिससे साइबर ठगी की घटनाएं घट रही हैं। फिलहाल आप अपने ही बैंक के एटीएम का प्रयोग करें।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 08:04 AM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 10:53 PM (IST)
हो जाएं सचेत और अपने ही बैंक के एटीएम का करें इस्तेमाल, यह जरूरी है
हो जाएं सचेत और अपने ही बैंक के एटीएम का करें इस्तेमाल, यह जरूरी है

पटना [दिलीप ओझा]। अगर भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश को बैंक लागू कर देते तो शायद अब तक का सबसे बड़ा साइबर हमला न होता। हमला किसने किया, कितने का नुकसान हुआ, जैसे तैरते सवालों के बीच बैंक भी कठघरे में खड़े हैं।

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दरअसल, तीन साल पूर्व सभी बैंकों को स्ट्राइप आधारित एटीएम-डेबिट कार्ड (जिसका फिलहाल उपयोग हो रहा है) को चिप आधारित (इसका क्लोन मुश्किल होता है) करने का निर्देश दिया गया था। अनुमान है कि अब तक एक फीसद ग्राहकों का भी बैंक कार्ड नहीं बदल पाए हैं।

अब तक का सबसे बड़ा साइबर हमला

भारतीय बैंकों पर अब तक का सबसे बड़ा साइबर हमला हुआ है। 32 लाख डेबिट कार्ड ग्राहकों की सूचनाएं चोरी होने की आशंका है। 19 बैंकों के 641 ग्राहकों के खाते से 1.3 करोड़ रुपये धोखे से निकल लिए गए हैं।

चोर साफ्टवेयर का है खेल

साइबर हमले के पीछे गुस्ताख मालवेयर सॉफ्टवेयर है। यस बैंक के तकनीकी पार्टनर की ओर से यह साफ्टवेयर एटीएम में डाल दिया गया। यह साफ्टवेयर जिस नेटवर्क में स्थापित किया जाता है उसकी सूचनाएं चुरा लेता है। इस तरह से ये सूचनाएं शातिरों के पास पहुंच गई। बाद में इन सूचनाओं के आधार पर नकली एटीएम-डेबिट कार्ड तैयार किये गए। फिर इस क्लोन कार्ड से निकासी हुई।

बैंक करेंगे नुकसान की क्षतिपूर्ति

भारतीय रिजर्व बैंक के बिहार-झारखंड के क्षेत्रीय निदेशक एमके वर्मा ने बताया कि निर्देश देने के बाद कई बार समीक्षा हुई। हर बार बैंकों ने कहा कि अभी काम पूरा नहीं हुआ है। बार-बार समय दिया गया। फिर भी अभी बहुसंख्य ग्राहकों को चिप आधारित कार्ड नहीं मिल पाया है।

वर्तमान साइबर हमले में हुई लापरवाही तो और हैरान करने वाली है। वर्मा ने कहा कि करीब छह सप्ताह पहले ही इसका संकेत मिल गया था। इसके बावजूद बैंकों की ओर से त्वरित कार्रवाई नहीं हुई। इस तरह के हमले अचानक नहीं होते। पहले टेस्टिंग के तौर पर कुछ ग्राहकों के साथ होता है, फिर बड़े पैमाने पर। अवधि छोटी होती है। बैंक तेजी दिखाते तो नतीजा कुछ और आता।

वर्मा ने कहा कि भारतीय बैंकिंग उद्योग सुरक्षित है। साइबर फ्रॉड का अलर्ट मिल जाता है। त्वरित कार्रवाई की जरूरत है। वर्मा ने कहा कि इससे ग्राहकों को कोई नुकसान नहीं होगा। बैंक उनकी क्षतिपूर्ति करेंगे।

अब नहीं मिलेगा मौका, होगी कार्रवाई

31 दिसंबर 2018 तक वर्तमान सभी स्ट्राइप बेस्ड एटीएम-डेबिट कार्ड को चिप बेस्ड में बदलना है। वर्मा ने कहा कि बीते माह 15 सितंबर को यह भी निर्देश दिया गया है कि यह अंतिम तिथि है, इसके बाद बैंकों पर कार्रवाई होगी, दंड मिलेगा। नए ग्राहकों के संबंध में सख्ती के साथ निर्देश दिया गया है कि उन्हें चिप आधारित कार्ड ही इश्यू किया जाए।

बैंक ग्राहकों को सलाह

- अपने एटीएम का पिन बदल दें

- बैंकों से शीघ्र चिप बेस्ड एटीएम कार्ड लें

- साइबर कैफे में वित्तीय लेनदेन न करें

- फिलहाल जिस बैंक के ग्राहक हैं उसी बैंक के एटीएम का इस्तेमाल करें

- अगर मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड न हो तो तुरंत कराएं

- रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर अगर बिना ट्रांजेक्शन लेन-देन की सूचना आती है तो तुरंत बैंक से संपर्क करें

- मोबाइल बैंकिंग इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों का अगर मोबाइल खो गया है तो अपने कार्ड को तुरंत ब्लॉक करा दें

- मोबाइल में पिन नंबर सेव नहीं करें


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