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एलियन जैसे दिखती यह बच्ची, मदद को आगे आए सलमान खान व कुणाल कपूर

एलियन जैसी दिखने वाली पटना की क्रोजन सिंड्रोम से पीड़ित लड़की शैली के इलाज के लिए अभिनेता सलमान खान की 'बीइंग ह्यूमन' और कुणाल कपूर की 'किटो' संस्था ने उसकी मदद की बात कही है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2016 09:44 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2016 05:48 PM (IST)

पटना [जेएनएन]। यह तस्वीर किसी दूसरे ग्रह के प्राणी (एलियन) की नहीं, गंभीर बीमारी से पीड़ित बिहार की एक बच्ची शैली की है। उसकी आंखें सिर्फ बड़ी ही नहीं, बल्कि कई बार चोट लगने पर बाहर भी निकल आती है, जिसे घरवाले वापस कपड़े की सहायता से अंदर कर देते हैं।

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सुनने में यह अजीब है मगर यह शैली की सच्चाई है। डॉक्टर्स का कहना है कि वह 'क्रोजन सिंड्रोम' से पीडि़त है। आर्थिक कारणों ने उसका बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अभिनेता सलमान खान की 'बीइंग ह्यूमन' और 'रंग दे बसंती' फेम कुणाल कपूर की 'किटो' संस्था ने उसकी मदद को हाथ बढ़ाया है।

नई जिंदगी की उम्मीद

'बीइंग ह्यूमन' की ओर से डॉ. रश्मि राय ने बेंगलुरु में शैली के इलाज कराने की बात कही है। इसके बाद शैली को नई जिंदगी मिलने की उम्मीद बंधी है। डॉक्टरों का कहना है कि क्रोजन सिंड्रोम के कारण शैली की बड़ी आंखें अति दुर्लभ केस में है। इसके इलाज में बड़ी राशि खर्च होगी, लेकिन सही इलाज से शैली ठीक हो सकती है।

कुणाल कपूर ने दिए 10 लाख

शैली के इलाज के लिए कुणाल कपूर ने अपनी संस्था 'किटो' के माध्यम से 10 लाख रुपये का डोनेशन देने की बात कही है। उनकी संस्था के साथ पटना स्थित एनजीओ 'ट्राई' लगातार संपर्क में है। ट्राई के सचिव उत्पल दत्त और प्रोग्राम एसोसिएट खुशबू सिन्हा ने बताया कि उनलोगों ने शैली के नाम से पाटलिपुत्रा स्थित पीएनबी बैंक में अकाउंट खोलवा दिया है। इसमें कोई भी मदद का इच्छुक सीधे शैली के इलाज में मदद कर सकता है।

'ट्राइ' के कर्मियों ने दिया एक दिन का वेतन

'ट्राइ' के सभी स्टाफ भी शैली के लिए जून माह का एक दिन का वेतन डोनेट कर रहे हैं। इसके अलावा गया के अमित रंजन ने अपने एक दिन की सैलरी शैली के अकाउंट में डोनेट की है।

स्कूल ने नहीं लिया एडमिशन

शैली के पिता गार्ड की नौकरी करते हैं। कहते हैं बीमारी के कारण बेटी की पढ़ाई नहीं हो रही। नामांकन कराने स्कूल गए तो शिक्षक का कहना था कि अजीब आंखों की वजह से बच्चे उसे चिढ़ाएंगे। इससे वह मर्माहत हो सकती है। इसलिए, शैली घर में ही पढ़ाई कर रही है।

इलाज के लिए पैसे नहीं

पिता बताते हैं कि शैली को पटना के कई अस्पतालों में दिखाया, मगर डॉक्टर्स सही इलाज नहीं बता पाए। आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं कि दिल्ली जा सके।

आंखों का सॉकेट छोटा

शैली की आंखों के सॉकेट छोटे होने के कारण चोट लगने से आंखें बाहर निकल आती हैं। इससक उसे काफी तकलीफ होती है। शैली का चेहरा भी ठीक से विकसित नहीं हो पाया है। उसके गाल के पास की हड्डी नहीं है। दांत भी ठीक से विकसित नहीं है।

क्या है क्रोजन सिंड्रोम

यह लाखों में एक बच्चे को होने वाली आंखों की जन्मजात बीमारी है। इसमें आंखों के सॉकेट छोटे होने के कारण आंखें बाहर निकल आती हैं। ऊपरी जबड़े व दांत के विकास भी प्रभावित होते हैं। सुनने, बालों के गिरने की समस्या सहित आंखों की रोशनी भी प्रभावित हो सकती है।


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