बैंकों में हड़ताल से 20 हजार करोड़ का नहीं हुआ कारोबार
पटना : सरकार का बैंकिंग सुधार कार्यक्रम बैंककर्मियों को रास नहीं आ रहा है। इसके विरोध्
पटना : सरकार का बैंकिंग सुधार कार्यक्रम बैंककर्मियों को रास नहीं आ रहा है। इसके विरोध में शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों का शटर गिरा रहा। हड़ताल में भारतीय स्टेट बैंक भी शामिल था। निजी क्षेत्र और विदेशी बैंक हड़ताल में शामिल नहीं थे, लेकिन इन्हें जबरन बंद करा दिया गया। देशव्यापी इस एकदिवसीय हड़ताल की वजह से सूबे में 20 हजार करोड़ रुपये का लेनदेन बाधित हुआ।
एटीएम सेवा का भी बुरा हाल :
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर शुक्रवार को हुई हड़ताल से बैंकिंग सेवा पूरी तरह से चरमरा गई। शाखाओं की कौन कहे, 90 से 95 फीसद एटीएम भी बंद रहे। हड़तालियों ने सिर्फ अस्पताल परिसर के अंदर और आसपास के एटीएम को इससे दूर रखा।
निजी बैंकों को जबरन कराया बंद : आइसीआइसीआइ, एचडीएफसी, एक्सिस, कोटक महिन्द्रा, आइडीबीआइ सहित विदेशी बैंक एचएसबीसी को भी हड़तालियों ने बंद करा दिया। इसका नेतृत्व संजय तिवारी, जयदेव मिश्रा, एनके पाठक, सुनील सिंहा, राजेश कुमार, गूंजन कुमार ने किया। हालांकि, दोपहर बाद इन बैंकों में बैक डोर से काम भी हुआ।
जमकर की नारेबाजी
आर ब्लॉक चौराहे के पास पीएनबी और बैंक ऑफ इंडिया के हड़ताली दिन भर सरकार विरोधी नारे लगाते रहे। कोतवाली थाने के पास इलाहाबाद बैंक, गांधी मैदान के पश्चिम छोर पर भारतीय स्टेट बैंक के हड़ताली धरना दिए। एसबीआइ आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उमाकांत सिंह ने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र को विकास की राह पर ले जाने वाले बैंकों को सरकार विनाश की राह पर ले जाने को तुली है। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. कुमार अरविंद ने कहा कि हम पीछे नहीं हटेंगे विरोध जारी रहेगा। एनपीए की वसूली नहीं हो रही है। बैंकों का विलय, बैंकों में एफडीआइ सीमा में वृद्धि का हम विरोध कर रहे हैं। संजय तिवारी ने कहा कि 12 सूत्री मांगों के समर्थन में यह हड़ताल हुई है।
इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग से चला काम : हड़ताल के बावजूद इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग बंद नहीं हुई। बिहार में कुल 21,53,064 इंटरनेट बैंकिंग ग्राहक हैं जबकि मोबाइल बैंकिंग ग्राहकों की संख्या 1,99,93,277 है।