FLASHBACK: तब बिहार के इन अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की कमी से मरे थे मासूम
गोरखपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मासूमों की मौत से पहले भी ऐसी घटनाएं होती रही हैं। बिहार के पटना के दो प्रमुख अस्पतालों में 2014 में चार बच्चों की इसी तरह मौत हुई थी।
पटना [जेएनएन]। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण मासूमों की मौत से मातम का माहौल है। बिहार के अस्पतालों में भी लापरवाही के बच्चों की मौत के कई उदाहरण हैं। 2014 में पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) में भी ऑक्सीजन सप्लाई बंद कर दिए जाने के कारण तीन बच्चों की मौत हो गई थी। इसके पहले पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में भी ऐसा ही हादसा हुआ था।
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) में भर्ती तीन मासूम बच्चों के लिए 22 सितंबर 2014 की उस काली रात की सुबह नहीं हुई। अस्पताल के शिशु विभाग की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (नीकू) में भर्ती उन बच्चों की ऑक्सीजन का प्रेशर कम होने से मौत हो गयी। तब डॉक्टरों ने भी स्वीकार किया था कि कुछ देर तक ऑक्सीजन का प्रेशर कम था।
एनएमसीएच की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई यूनिट की 24 सीटों में से ऑक्सीजन की नौ पाइप लाइनें थीं। इन्हें ऑक्सीजन की सप्लाई जंबो सिलेंडर से दी जाती थी। लेकिन, उस रात सिलेंडर ही नहीं लगाया गया था।
ऑक्सीजन सप्लाई नहीं मिलने के कारण तीन बच्चों के मरने के कारण हंगामा खड़ा हो गया। परिजनों ने इसका स्पष्ट आरोप लगाया, जिसकी जांच के दौरान कर्मचारियों की लापरवाही उजागर हुई। हालांकि, नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार ठाकुर ने बताया कि यह सही है कि कुछ देर के लिए ऑक्सीजन का प्रेशर कम हो गया था, लेकिन बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई।
पीएमसीएच में भी हुई थी मौत
इसके पहले 17 सितंबर को भी पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में पैसे नहीं देने पर भंडार इंचार्ज ने ऑक्सीजन का सिलेंडर नहीं दिया, जिससे शिशु वार्ड में भरती एक बच्चे की मौत हो गयी थी। जांच में यह मामला सही पाया गया था। इसके बाद भंडार इंचार्ज सुभाष प्रसाद पर एफआइआर दर्ज करा उसे जेल भी भेजा गया था।
हाइकोर्ट की चेतावनी भी बेअसर
पीएमसीएच की घटना के बाद पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश वीएन सिन्हा ने 22 सितंबर को पीएमसीएच के प्राचार्य को बुला कर अस्पताल की हालत सुधारने का आदेश दिया था। लेकिन, आज भी हालात संतोषजनक नहीं दिखते।ऐसे में आश्चर्य नहीं कि यहां भी गोरखपुर जैसा कोई हादसा हो जाए।