Move to Jagran APP

बिहार में अनिश्चितता के दौर से बाहर आने लगी कांग्रेस

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के अंदर छाई धुंध धीरे-धीरे छंटने लगी है। बिहार की बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में आवश्यकता पड़ी तो कांग्रेस अपने बलबूते भी चुनाव लड़ सकती है। वैसे भी पार्टी लंबे समय से गठबंधन के मसले पर दो धु्रवों में बंटी नजर आती रही है।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 25 May 2015 02:55 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2015 03:01 PM (IST)
बिहार में अनिश्चितता के दौर से बाहर आने लगी कांग्रेस

पटना [सुनील राज]। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के अंदर छाई धुंध धीरे-धीरे छंटने लगी है। बिहार की बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में आवश्यकता पड़ी तो कांग्रेस अपने बलबूते भी चुनाव लड़ सकती है। वैसे भी पार्टी लंबे समय से गठबंधन के मसले पर दो धु्रवों में बंटी नजर आती रही है।

loksabha election banner

कांग्रेस के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चुनाव की सरगर्मी तेज होते ही पार्टी के पुराने नेताओं की ओर से यह मांग जोर पकडऩे लगी है कि कांग्रेस को अपनी गिरती साख बचाने और पार्टी को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए अपने बलबूते पर चुनाव लडऩा चाहिए।

गठबंधन मेंं कांग्रेस को उसकी हैसियत के हिसाब से मौका नहीं दिया जाता है। खुद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी ने राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि पार्टी कार्यकर्ताओं का अपमान किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका दो टूक कहना था कि सहयोगी कांग्रेस को कम कर आंकना बंद करें। डॉ. चौधरी के इस बयान से गठबंधन के नाम पर ही बिदक जाने वाले पार्टी नेताओं को बड़ी राहत मिली है।

सूत्र बताते हैं कि डॉ. चौधरी ने जो कहा उसके पीछे कई कारण थे। उनके बयान के पीछे अगले दिन हुई कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक का हवाला दिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस आलाकमान ने बिहार के कांग्रेस प्रभारी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. सीपी जोशी के हवाले बिहार कांग्रेस के अंदर यह संदेश प्रचारित करा दिया है कि आवश्यकता पडऩे पर कांग्रेस गठबंधन का मोह छोड़ अपने दम पर भी चुनाव लड़ सकती है।

कार्यकारिणी की बैठक में डॉ. जोशी ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ नेताओं को टास्क सौंपा है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए दो-दो उम्मीदवारों का बायोडाटा तैयार करें, ताकि आवश्यकता पडऩे पर आलाकमान को निर्णय लेने में किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.