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...जब जेल में तब्दील कर दिया गया था पूरा बिहार

बिहार में आपातकाल की याद अभी भी ताजा हो उठती हैं जब पूरे बिहार को जेल में तब्दील कर दिया गया था। एेतिहासिक गांधी मैदान से पूरे बिहार में आपातकाल की शुऱुआत हुई थी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 26 Jun 2017 11:25 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 11:22 PM (IST)
...जब जेल में तब्दील कर दिया गया था पूरा बिहार
...जब जेल में तब्दील कर दिया गया था पूरा बिहार

पटना [अरविंद शर्मा]। आपातकाल का मतलब है तानाशाही शासन, जिसमें लिखने-बोलने-सुनने पर प्रतिबंध होता है। अन्याय, अत्याचार, दमन के मुखालफत की गुंजाइश भी खत्म।

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बिहार में पांच जून 1975 को जयप्रकाश नारायण (जेपी) की संपूर्ण क्रांति के आगाज की प्रतिक्रिया में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने महज 20 दिन बाद 25-26 जून की दरम्यानी रात इस काले कानून को जनता पर थोप दिया, जो अगले 21 महीने तक प्रभावी रहा।

ऐतिहासिक गांधी मैदान में जेपी ने पांच लाख से अधिक भीड़ का नेतृत्व करते हुए भ्रष्टाचार, बेरोजगारी एवं संवैधानिक नियमों की अवहेलना के विरोध में इंदिरा के तानाशाही शासन को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया, जिसका असर पूरे देश में हुआ। इसकी प्रतिक्रिया में की घोषणा से पूरा देश स्तब्ध रह गया। बिहार जल उठा।

कवि सत्यनारायण के मुताबिक पहले अचानक पूरे बिहार को कारागार में तब्दील कर दिया गया था। दिल्ली से जेपी को उठा लिया गया। देशभर के इंदिरा विरोधी नेताओं को बंदी बना लिया गया। कई नेता नजरबंद कर दिए गए। नागरिक अधिकारों को निरस्त कर दिया गया। प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

इन दिग्गजों को भी जाना पड़ा था जेल

बिहार की राजनीति में वर्तमान में सक्रिय कई बड़े नेता भी गिरफ्तार कर लिए गए थे। जेपी सेनानी योजना से जुड़े मिथिलेश सिंह के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आरा के पास उदवंतनगर से उठा लिया गया था।

चार दिन बाद सुशील कुमार मोदी को समस्तीपुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया। छह महीने तक भूमिगत रहे लालू प्रसाद गोपालगंज में पकड़े गए थे। इसी तरह रामविलास पासवान, शिवानंद तिवारी, बबुआ जी एवं सत्येंद्र नारायण सिंह को लंबे समय तक जेल में बिताना पड़ा था। गोविंदाचार्य एवं कैलाशपति मिश्र भी ज्यादा दिनों तक भूमिगत नहीं रह पाए थे।

बिहार था मुख्य निशाने पर

जेपी के कारण इंदिरा के मुख्य निशाने पर बिहारी नेता थे। विपक्ष के तमाम नेता जो जहां थे, उन्हें वहीं नजरबंद कर लिया गया। प्रदेश, जिला, प्रखंड स्तर तक के राजनीतिक दलों, छात्र संगठनों, मजदूर संगठनों, आरएसएस, सवरेदय, जमायते-इस्लामी, छात्र संघर्ष एवं जन संघर्ष समितियों के विभिन्न स्तर के नेता-कार्यकर्ता पकड़ लिए गए।

जो भी सक्रिय था और सावधान नहीं था, वह शाम होते-होते गिरफ्तार हो गया। जो बचा, वह भूमिगत हो गया। सबसे सबका संपर्क भंग। संचार के साधन सरकार की निगरानी में थे। इनका इस्तेमाल करने का मतलब गिरफ्तार होना था।

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क्या है संपूर्ण क्रांति

जेपी के अनुसार क्रांति का मतलब परिवर्तन और नवनिर्माण। सात प्रकार की क्रांति को मिलाकर संपूर्ण क्रांति का नारा दिया गया। इनमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, वैचारिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक क्रांति को शामिल किया गया।

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