घर बेचकर बापू की प्रतिमा स्थापित कराई
घर बेचकर बापू की प्रतिमा स्थापित कराई
सूर्यपुरा (रोहतास) : उन्होंने आजादी के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया। स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विचारधारा से इतने प्रभावित हुए कि स्वतंत्रता के बाद अपना पुश्तैनी मकान बेचकर बापू की प्रतिमा मैदान में स्थापित कराई। मरते दम तक वे गांधीवादी बने रहे। 66 वें गणतंत्र दिवस पर हम याद कर रहे हैं सूर्यपुरा के सुबेदार उर्फ सुबी साव को। स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को लोग आज भी याद करते हैं।
आजादी के लिए खाए कोड़े :
उनके अनुयायी बताते हैं कि 1920 में बिक्रमगंज में महात्मा गांधी आए तो उनके भाषण से प्रभावित हो सुबी साव स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। उन्होंने अविवाहित रहने का निर्णय कर लिया। अंग्रेजों के कोड़े खाकर भी आजादी की लड़ाई में पीछे नहीं हटे। देश के स्वतंत्र होने के बाद वे गांधीवादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करते रहे। आजादी की लड़ाई में शामिल लोग स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन पाने के लिए आवेदन दे रहे थे। किसी ने सुबी साव से आवेदन के साथ नाजायज राशि की मांग कर दी तो उन्होंने आवेदन को फाड़ स्वतंत्रता सेनानी पेंशन नहीं लेने का संकल्प लिया।
दिल के धनवान :
सुबी साव पर निर्धनता इस कदर हावी थी कि सम्पत्ति के नाम पर महज एक पुश्तैनी खपरैल मकान और गाय बची थी। 1968 में उसे भी बेचकर गांधी जी की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया। सूर्यपुरा स्थित एक खेल मैदान को गांधी के नाम करा वहां गांधी जी की प्रतिमा स्थापित कराई। उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वे गांवों में जाकर लोगों को प्रेरित करते रहे। 1974 में उनकी मौत हो गई पर उनके बताए रास्ते पर कुछ लोग आज भी चल रहे हैं। अवकाश प्राप्त कर्मी 65 वर्षीय विनोद कुमार कहते हैं कि सुबी साव आजीवन स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस पर निजी खर्च से राष्ट्रीय ध्वज और मिठाइयां बांटने का कार्य करते थे। घर बेचकर बनवाया गया गांधी स्मारक लोगों के लिए प्रेरणादायक है। यहीं प्रखंड कार्यालय भी चल रहा है।