नशे के खिलाफ जब बिहार के निश्चय को पूरी दुनिया ने देखा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दृढ़ इच्छा शक्ति का ही ये नतीजा है कि राज्य ने नशे के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। हां हम बिहारी, सब परहैं भारी ।
पटना [काजल]। कभी बिहार के सम्राट अशोक ने चक्रवर्ती सम्राट होने का गौरव प्राप्त किया था, चाणक्य का अर्थशास्त्र, आर्यभट्ट का गणित, गौतम बुद्ध का संदेश, भगवान महावीर ने विश्व को दिया था अहिंसा का संदेश और सीता मईया की धरती, बिहार... जिसका स्वर्णिम इतिहास रहा है। आज इसमें एक और कड़ी जुड़ गई जब नशे को ना कह बिहार के गांधी मैदान से बनी मानव श्रृंखला ने भी दुनिया को बिहार का जज्बा दिखा दिया।
सपना, जो आज हकीकत होता दिखा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सपना जो हकीकत बनकर दिखा, जिसकी झलक धरती ही नहीं, आसमान में भी दिखाई दी। मानव श्रृंखला के दौरान इसरो का उपग्रह बिहार की धरती से गुजरा और सेटेलाइट से इसकी तस्वीरें लीं, जिसे अब पूरी दुनिया देखेगी कि बिहार ने नशे को ना कहने का जो संकल्प लिया था, आज वो इतिहास के पन्नोें मे दर्ज हो गया।
बिहार के मुख्यमंत्री का निश्चय कि सपने भी हकीकत बनते हैं, बस जुनून और इमानदारी होनी चाहिए, इसने एक नई मिसाल कायम की, जिसे आने वाली पीढ़ी भी याद करेगी।
जीविका दीदी की कोने से सुनी आवाज, दर्द किया था महसूस
पहली बार पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में एक जीविका की सदस्य की एक कोने से निकली आवाज कि- शराब को बंद क्यों नहीं करा देते? नीतीश कुमार के दिलो दिमाग में छा गई, उन्होंने अपने कानोें में पहुंची इस हल्की सी आवाज का दर्द महसूस किया और उसी दिन ठान लिया था कि हर हाल में बिहार को शराब से मुक्ति दिलाएंगे।
गांधी मैदान में मानव श्रृंखला का एेसा रहा स्वरूप, इसे पूरी दुनिया ने देखा
अाज यह सपना हकीकत बना और इसके समर्थन में जो तीन करोड़ हाथ एक दूसरे से जुड़े और दुनिया की सबसे लंबी मानव श्रृंखला बनाकर पूरी दुनिया को यह संदेश देने का काम किया, लेकिन इसकी राहें इतनी आसान नहीं थीं। जब नीतीश कुमार ने शराबबंदी का एलान किया था तो सीधे साफ लहजे में लोगों ने कहा था कि यह संभव ही नहीं है।
अपने भी हो गए थे पराए, नहीं डिगा नीतीश का दृढ़ निश्चय
इसके लिए उनके दोस्तों के साथ दुश्मनों ने भी उनकी टांग खींचने की लगातार कोशिश की, लेकिन उन्हें जनता का समर्थन प्राप्त था और इरादे अटल थे। शराबबंदी के बाद राज्य के निम्न वर्ग की महिलाएं सबसे ज्यादा खुश थीं, क्योंकि अब उनका पति शाम में शराब पीकर नहीं गृहस्थी का सामान लेकर घर आने लगा था। जिन झोपड़ियों में मार-पीट और गाली-गलौच की आवाजें आती थीं, वहां से अब हंसी-ठहाके की गूंज सुनाई देने लगी थी।
मानव श्रृंखला: आज हाथ-से-हाथ जोड़कर पूरा बिहार बोल रहा 'नशे को ना'....
लोगों ने लगाए तरह-तरह के आरोप
लोगों ने कहना शुरू किया कि ये सब राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है। लेकिन, शाम को पिटाई करने वाला पति शराबबंदी के बाद अपनी कमाई घर लेकर आने लगा, बच्चे खुश होकर दो वक्त का खाना खाने लगे, पति का प्यार पाकर महिलाएं खुश रहने लगीं इसमें कौन सा राजनीतिक फायदा था? इसकी वजह से बिहार की खुशहाली वापस लौटी तो इसमें नीतीश कुमार को क्या मिल गया ?
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बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव है शराबबंदी
यह एक बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव है और बेहतर समाज निर्माण के लिए उठाया गया एक कारगर कदम है लोगों को यह सोचना चाहिए। आज जो हुजूम सड़कों पर गांव में, शहरों में दिखा और नशे के खिलाफ जो आवाज बुलंद की है इसका सम्मान करना चाहिए। शराब या कोई भी नशा समाज के लिए राज्य के लिए देश के लिए घातक है इसमें अपना निहित स्वार्थ का त्यागकर समाज के लिए देश के लिए सोचना चाहिए।
लोगों को करना चाहिए दिल से समर्थन
आज के बाद भी कोई संशय बचा हो तो अपने दिमाग से निकाल देना चाहिए। आज इसे पूरा देश ही नहीं पूरी दुनिया भी सराह रही है और हम तो बिहार का हिस्सा हैं, हमें तो गर्व होना चाहिए कि हम एक एेसे राज्य में रह रहें हैं जिसके पास अपनी एतिहासिक और सामाजिक पृष्ठभूमि रही है। स्वर्णिम इतिहास रहा है।