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सही योजना और जानकारी से पांडुलिपियों का संरक्षण संभव : साह

सही योजना और जानकारी से प्राचीन पांडुलिपियों का प्रतिरक्षण हो सकता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 03:03 AM (IST)Updated: Mon, 20 Mar 2017 03:03 AM (IST)
सही योजना और जानकारी से पांडुलिपियों का संरक्षण संभव : साह
सही योजना और जानकारी से पांडुलिपियों का संरक्षण संभव : साह

पटना। सही योजना और जानकारी से प्राचीन पांडुलिपियों का प्रतिरक्षण हो सकता है। इसके लिए चरणबद्ध ढंग से काम किया जाना चाहिए। ये बातें देश के संरक्षण विशेषज्ञ अनुपम साह ने कहीं। वे रविवार को खुदाबख्श पब्लिक ओरिएंटल लाइब्रेरी में 'पांडुलिपियों का प्रतिरक्षण' पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला को प्रथम दिन संबोधित कर रहे थे। साह ने कहा कि संग्रह की जानकारी के आधार पर पहले उसका वर्गीकरण करें और प्रतिरक्षण की योजना बनाएं। ढेर सारी नई तकनीकें आ गई हैं, उनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जरूरतों की सूची बनाइए और उपलब्ध साधन की भी। साह ने कहा कि देश में उपकरणों की समस्या नहीं है, बल्कि उनके रखरखाव सबसे बड़ी चुनौती है। बेहतर कार्ययोजना और टीम तैयार कर जरूरत के हिसाब से उपकरण खरीदें। उन्होंने टीमवर्क के लिए यूनिफॉर्म पर को भी जरूरी बताया। साह ने कहा कि परिवर्तन आसानी से स्वीकार्य नहीं होते। ज्ञान और अनुभव साझा कीजिए और निर्णय लेकर काम कीजिए। उन्होंने कहा कि हुनर और निष्ठा हो तो काम की कमी नहीं होती। उन्होंने प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए।

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अपने काम के प्रति समर्पण और प्यार जरूरी

कार्यशाला में प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम मुंबई के ललित पाठक ने कहा कि संग्रह को देखते हुए योजना बनाएं। सबसे जरूरी है अपने काम के प्रति समर्पण और प्यार। पुरानी चीजों के संरक्षण के लिए जरूरत के हिसाब से निर्णय लेना आवश्यक होता है। विशेषज्ञ ही सही तरीके से इस काम को अंजाम दे सकते हैं, इसलिए अनुभव और प्रशिक्षण बेहद जरूरी है। पाठक ने कहा कि सरकार ने काफी पहले जो नियमावली बनाई थी, वही आज भी लागू है। उसमें बदलाव होना बहुत जरूरी है।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए लाइब्रेरी के बोर्ड मेंबर रजी अहमद ने कहा कि देश में दिल्ली, मुंबई आदि विकास के कुछ टापू बन गए हैं। उन्होंने युवाओं को कहा कि अगर क्षमता है, तभी दौड़ में बने रहेंगे। अहमद ने कहा कि हर पीढ़ी के अलग-अलग तकाजे होते हैं। कहा कि लाइब्रेरी और ऐसी जगहें ज्ञान का भंडार हैं, जिनका फायदा उठाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि लाइब्रेरी में तीन साल से निदेशक नहीं हैं।

कार्यशाला के दौरान तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों ने अपने विचार से लोगों को अवगत कराया। समारोह का संचालन खुदाबख्श लाइब्रेरी के एलआइए मो. शाहजहां कासमी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन एलआइओ इरफान एहसान सफदरी ने किया। कार्यशाला में पटना विश्वविद्यालय, इग्नू, नालंदा खुला विश्वविद्यालय आदि के लाइब्रेरी से संबंधित कक्षाओं के ढेर सारे छात्र-छात्राएं मौजूद थे।


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