भाजपा के खिलाफ आर-पार की तैयारी में लालू
लालू यादव विपक्षी दलों के सूत्रधार बनकर भाजपा को चुनौती देने वाले हैं। शुक्रवार को दिल्ली में बैठक फिर 27 अगस्त को पटना में महारैली कर इसे अमलीजामा पहनाने की शुरुआत की है।
पटना [अरविंद शर्मा]। आय से अधिक संपत्ति के मामले में भाजपा के लगातार हमलों के बावजूद राजद प्रमुख लालू प्रसाद विपक्षी एकता के सूत्रधार बनने की जुगत में हैं। परिवार पर लगातार लग रहे आरोपों के बाद भी वे हार मानने को तैयार नहीं हैं।
यही कारण है कि लालू पहले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को चुनौती देने एवं बाद में पटना में 27 अगस्त को प्रस्तावित रैली के लिए व्यापक जनसमर्थन जुटाने की कोशिश में निकल पड़े हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार की तीसरी वर्षगांठ पर शुक्रवार को भाजपा जहां देशभर में कामयाबी का जश्न मना रही होगी वहीं दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में लालू राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने की रणनीति बना रहे होंगे। 14वें राष्ट्रपति का चुनाव 25 जुलाई के पहले होना है। इसके पहले भाजपा के प्रत्याशी को रोकने के लिए संपूर्ण विपक्ष एकजुट होने की ओर अग्रसर है।
इस संबंध में सोनिया गांधी एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार से बातचीत के बाद लालू पूरी तरह फॉर्म में हैं। 27 अगस्त को पटना में लालू ने भाजपा हटाओ देश बचाओ रैली का आयोजन किया है। इसमें भाजपा विरोधी सभी बड़े नेताओं को आमंत्रित किया जाएगा। लालू ने इस संबंध में सोनिया गांधी से बात भी कर ली है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश एवं कनीमोरी (डीएमके अध्यक्ष करुणानिाधि की बेटी) से सहमति मिल भी चुकी है। ओड़ीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, मुलायम सिंह यादव एवं इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला से बात होनी है।
इसके पहले तीन जून को चेन्नई में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के अध्यक्ष एम. करुणानिधि के 94वें जन्मदिन पर भाजपा विरोधी दलों का जुटान होगा।
प्रोफाइल बन रही मददगार
भाजपा के विरोध में संपूर्ण विपक्ष को एकजुट करने में लालू प्रसाद की प्रोफाइल मददगार साबित हो रही है। चारा घोटाले की अदालती उलझनों में फंसे लालू फिलहाल संसदीय पदों एवं चुनाव प्रक्रिया से बाहर हैं।
यूपी में बिछेगी नई बिसात
यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा विरोधी दलों की करारी शिकस्त के बाद लालू वहां नए सिरे से लड़ाई के लिए बिसात बिछाने वाले हैं। इसके लिए लालू बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती एवं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के भी संपर्क में हैं।
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मुलायम सिंह को भी रिश्तेदारी का वास्ता दिया जा रहा है। मात्र 19 विधायकों वाली पार्टी की मुखिया मायावती को अगले साल राज्यसभा की सदस्यता भी लालू बिहार से दिलवाना चाहते हैं। सत्ता से बेदखल अखिलेश और मायावती को एक मंच पर लाने की कोशिश अगर परवान चढ़ गई तो यह लालू के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
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