महागठबंधन में महामुकाबला: राजद-जदयू के बीच बढ़ी दरार, कुछ भी हो सकता है...
बिहार में महागठबंधन बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। अभी हर किसी के जेहन में एक ही बात है कि कु्छ भी हो सकता है। एक ओर जहां राजद की तल्खी दिख रही है वहीं जदयू के तेवर भी गर्म हैं।
पटना [काजल]। एक ओर रामनाथ कोविंद तो दूसरी ओर मीरा कुमार, बिहार में दलित चेहरे को लेकर जहां राजनीति तेज हो गई है वहीं बयानों की तल्खी इस ओर इशारा कर रही है कि महागठबंधन की डोर अब बहुत कमजोर पड़ चुकी है और किसी भी समय बड़ी राजनीतिक फेरबदल की बात सामने आ सकती है। वैसे दोनों दल, राजद और जदयू अभी एक दूसरे पर भारी पड़ रहे हैं।
महागठबंधन को बचाना और धर्म को निभाना जहां दोनों बड़े दलों की मजबूरी बनी हुई थी लेकिन अब ये मजबूरी शायद अब खत्म हो जाए। बिहार की सियासत में महागठबंधन इस वक्त दोराहे पर खड़ा है और कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता?
रामनाथ कोविंद बनाम मीरा कुमार
राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद को जदयू समर्थन कर रहा है, जबकि बिहार सरकार के महागठबंधन में शामिल राजद यूपीए की उम्मीदवार मीरा कुमार को समर्थन कर रहा है। इसे लेकर लालू यादव द्वारा यह कहा जाना कि जदयू का यह फैसला एक ऐतिहासिक भूल है, उसके बाद से बिहार में राजनीति तेज हो गयी है।
राजद नेताओं की तल्खी, दिए अनाप-शनाप बयान
वहीं दूसरी ओर राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा था ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे नीतीश ने ठगा नहीं, लेकिन ठगने वाले को जनता खुद सबक सिखा देगी। वहीं दूसरी ओर राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह गाहे-बगाहे सीएम नीतीश को लेकर कोई न कोई बयान देते रहते हैं।
वहीं, राष्ट्रपति चुनाव के मसले पर लालू ने कहा था कि नीतीश कुमार मीरा कुमार को समर्थन नहीं कर ऐतिहासिक भूल करने जा रहे हैं तो इसका जवाब देते हुए नीतीश ने भी कहा था कि कर लेने दीजिए ये एतिहासिक भूल..
नीतीश-लालू में इफ्तार पार्टी के दौरान दिखा तनाव
23 जून को लालू प्रसाद यादव की इफ्तार पार्टी में सीएम नीतीश कुमार ने जब शिरकत की थी, तो दोनों के बीच तनाव साफ नजर आ रहा था। लालू और नीतीश एक दूसरे से नजरें चुराते हुए नजर आये। दोनों के बॉर्डी लैग्वेज को देखकर साफ पता चल रहा था कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है।
इफ्तार पार्टी के बाद नीतीश के बयान ने इस बात को और हवा दे दी। नीतीश ने कहा था कि बिहार की बेटी मीरा कुमार को हराने के लिए उतारा गया है।
तेजस्वी के बयान ने बिगाड़ी बात
राजद के कई नेता लगातार नीतीश कुमार को लेकर बड़ी-बड़ी बयानबाजी कर रहे हैं। लेकिन इसके बाद पहली बार उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बड़ा बयान देकर महागठबंधन में तूफान मचा दिया है, जिससे आहत होकर अब जदयू किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं है। तेजस्वी ने कहा था कि मैदान में उतरने से पहले कैसे कोई कह सकता है कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा, हमारी लड़ाई विचारधारा से है।
पहली बार तेजस्वी ने नीतीश की बातों का दिया जवाब
ऐसा पहली बार है जब 28 साल के तेजस्वी ने चाचा नीतीश कुमार की बातों को काटा है। महागठबंधन को अटूट बताने वाले तेजस्वी ने साफ कर दिया कि अब वो किसी दबाव में आकर राजनीति नहीं करेंगे।
तेजस्वी यादव ने बिल्कुल ठीक कहा है : डॉ. रामचंद्र पूर्वे
राजद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे ने भी कि तेजस्वी यादव का समर्थन करते हुए कहा कि यादव ने बिल्कुल ठीक कहा है। चुनाव से पहले हार कैसे मानी जा सकती है। साथ ही लालू यादव का कद बड़ा बताते हुए कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि महागठबंधन का स्वरूप तय करने का श्रेय लालू यादव को जाता है।
कांग्रेस ने कहा-नीतीश खुद ही कर रहे अपने राज्य की बेटी को हराने की बात
दोनों दल के नेताओं की बयानबाजी और इस बीच कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का नीतीश पर आरोप कि हराना उनका काम है, हमारा नहीं। नीतीश को अपनी राज्य की दलित नेता के हराने की पहले ही घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार एक विचारधारा वाले नेता नहीं हैं बल्कि वो कई विचारधाराओं में यकीन रखकर अलग निर्णय लेते हैं। अपने ही राज्य की नेता के बारे में उन्होंने ये बयान दिया है।
जदयू ने कहा-हमने ही दी जड़ी-बूटी, नीतीश का अपमान बर्दाश्त नहीं
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने साफ साफ लहजों में कहा कि नीतीश कुमार की वजह से ही राजद और कांग्रेस को सत्ता मिली है और सभी को इस सच को स्वीकार करना चाहिए। उधर, पार्टी के महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है। हम चाहते हैं कि गठबंधन की उम्र लंबी हो लेकिन नेता का चरित्र हनन और मर्यादा का उल्लंघन नहीं हो।
जदयू की बैठक में हो सकता है बड़ा फैसला
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 2 जुलाई को जदयू के राज्य कार्यकारिणी की बैठक और उसके बाद 23 जुलाई को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने वाली है जिसमें पार्टी बड़ा फैसला ले सकती है।मिली जानकारी के अनुसार पार्टी की दोनों बैठक में नीतीश कुमार को अधिकृत किया जा सकता है कि और वो जो फैसला लेंगे वही पार्टी का फैसला होगा।
राजद ने कहा-महागठबंधन तोड़ने वाले को जनता माफ नहीं करेगी
राजद प्रवक्ता अशोक सिन्हा कहते है कि गठबंधन तोड़ने की जो भी पहल करेगा उसे बिहार की जनता कभी माफ नहीं करेगी। राजद को भी आशंका है कि बात इतनी बिगड़ गई है कि अब कुछ भी हो सकता है, लेकिन सबकी निगाहें इसी पर टिकी हुई हैं कि इसकी पहल कौन करे?
जदयू ने कहा-बिहार में नीतीश की वजह से मिली जीत
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि जदयू, राजद और कांग्रेस के नेताओं को समझना होगा कि बिहार में महागठबंधन को अविस्मणीय जीत मिली है और यह सिर्फ नीतीश की करिश्माई नेतृत्व के कारण संभव हो पाया है। इधर, ये भी कहा जा रहा है कि जेडीयू के प्रवक्ताओं ने जिस तरह से राजद पर हमला तेज किया है वो नीतीश कुमार के शह के बिना संभव नहीं है।
नीतीश कुमार जीएसटी की बैठक के लिए जाएंगे दिल्ली
इसी बीच नीतीश कुमार की मुलाक़ात अरुण जेटली से दिल्ली में जीएसटी के बहाने होने वाली है और खबर ये भी है कि नीतीश की मुलाकात नरेंद्र मोदी से भी होगी। उसके बाद अगर महागठबंधन में गतिरोध और तेज हो जाए तो ये कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी।
मेरे नेता लालू यादव हैं नीतीश कुमार नहीं : मोहम्मद शहाबुद्दीन
तिहाड़ जेल में बंद मोहम्मद शहाबुद्दीन ने भागलपुर जेल से छूटते ही नीतीश कुमार के खिलाफ बड़ी बात कही थी। राजद की राष्ट्रीय समिति के सदस्य मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा, “लालू यादव मेरे नेता हैं नीतीश कुमार नहीं। वह तो परिस्थितियों के चलते बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं। जबकि मुख्यमंत्री तो जनता के बीच से चुनकर आता है। मैं नीतीश कुमार को अपना नेता नहीं मानता हूं।”
लालू ने भी शहाबुद्दीन का किया था समर्थन
राजद सुप्रीमो लालू यादव ने न अपनी पार्टी के लोगों पर बयान देने को लेकर कोई रोक और कार्रवाई नहीं की, बल्कि उनके बयानों और हमलों का उन्होंने समर्थन ही किया। मो. शहाबुद्दीन की टिप्पणी पर लालू यादव ने कहा कि शहाबुद्दीन ने कहा कि लालू उनके नेता हैं तो क्या गलत किया? इससे नीतीश को भी कोई समस्या नहीं है।
एेसा हो सकता है गणित
गौरतलब है कि कुछ महीनों से नीतीश कुमार के द्वारा उठाये जा रहे कदम बीजेपी की नजदीकी और आरजेडी से दूरी को दिखा रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के जरिये ये खुलकर सामने आ गया है। महागठबंधन का भविष्य राष्ट्रपति चुनाव के बाद स्पष्ट हो जायेगा।
अगर महागठबंधन टूटता है तो आरजेडी को विपक्ष में बैठना पड़ सकता है। क्योंकि आरजेडी के पास 80 सीट है, वहीं कांग्रेस के पास 27। दोनों मिलकर सरकार नहीं बना सकते। वहीं जेडीयू एक बार फिर से बीजेपी से हाथ मिलाकर सत्ता में काबिज हो सकता है।
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...तो विपक्ष के नेता होंगे तेजस्वी यादव
राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर महागठबंधन में बवाल मचा हुआ है। जेडीयू और आरजेडी में बयानबाजी का दौर शुरू है। ऐसे में कयास लगाये जा रहे हैं कि महागठबंधन बिखर जाएगा और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता की भूमिका में नजर आएंगे।
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