रिजल्ट घोटाले का खुलासा....तो आठ करोड़ रुपये और डकार जाते लालकेश्वर
बिहार बोर्ड के स्टोर कीपर विकास सिंह ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि मेरिट घोटाला उजागर नहीं होता तो लालकेश्वर साढ़े आठ करोड़ का भुगतान कर देते।
पटना [जेएनएन]। इंटर परीक्षा, 2016 की कॉपियों के लिए गुजरात की बिंदिया इंटरप्राइजेज को दिए गए फर्जी टेंडर के मामले में गिरफ्तार बिहार बोर्ड के स्टोर कीपर विकास सिंह ने बड़ा खुलासा किया है।
उसने एसआइटी को बताया कि मेरिट घोटाला उजागर नहीं होता तो पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद और पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा कंपनी को बिहार बोर्ड के दूसरे मदों का साढ़े आठ करोड़ रुपया भुगतान कर देते। इसकी जानकारी कंपनी के संचालक बृजल को भी दी गई थी।
मोहरे की तरह करते थे इस्तेमाल
रिमांड पर लिए जाने के बाद लालकेश्वर, हरिहर नाथ, विकास और कबाड़ व्यापारी राजकिशोर गुप्ता एक-दूसरे पर झल्ला कर आरोप मढ़ रहे थे। थोड़ी देर बाद विकास ने गुनाह कबूल करते हुए कहा कि लालकेश्वर के दामाद विवेक रंजन के कहने पर पूर्व बोर्ड अध्यक्ष ने मथुरा की केसी प्रिंटिंग प्रेस को इंटर परीक्षा की उत्तर पुस्तिका छपाई का टेंडर दे दिया।
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पूर्व सचिव के साथ मिलकर उन्होंने फर्जी टेंडर की साजिश रची। वर्क ऑर्डर दिलाने के लिए लालकेश्वर ने गुजरात की कंपनी के मालिक से कमीशन की रकम खुद तय की थी। ट्रांसपोर्ट के लिए उनके कहने पर कंपनी के संचालक ने विकास को चार लाख रुपये दिए थे। बोर्ड के कर्मचारियों को लालकेश्वर मोहरे की तरह इस्तेमाल करते थे।
डेढ़ करोड़ में हुआ था राजकिशोर से सौदा
कबाड़ व्यापारी राजकिशोर ने कबूल किया है कि लालकेश्वर के साथ 1.5 करोड़ रुपये में सौदा तय हुआ था। रद्दी बेचकर जो कमाई होती, उसमें से इतनी रकम उन्हें दे दी जाती। विकास को भी रुपये देने थे। उसके और विकास के कहने पर ही औरंगाबाद के जिला पंचायती राज पदाधिकारी जनार्दन प्रसाद अग्रवाल ने कॉपियां ङ्क्षहदुस्तान अवामी मोर्चा के जिलाध्यक्ष अजय सिंह के घर रखवाई थीं।
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गला दी कॉपियां
राजकिशोर के अनुसार गुजरात की कंपनी में छपी कॉपियां मशीन में गला दी गईं, ताकि उसके कागज का इस्तेमाल किया जा सके। उसे 23 ट्रक कॉपियां मिली थी। पुलिस पता लगा रही है कि बाकी पांच ट्रक कॉपियां कहां खपाई गईं। एक ट्रक कॉपी अजय के औरंगाबाद स्थित घर से बरामद हुई थी।
एफएसएल रिपोर्ट पर निगाहें
पूछताछ के दौरान पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा बार-बार फर्जी टेंडर और वर्क ऑर्डर पर उनके हस्ताक्षर होने से इन्कार करते रहे। उनके हस्ताक्षर के नमूने टेंडर पर किए गए दस्तखत से मिलान कराने के लिए एफएसएल भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही इस राज से पर्दा उठ पाएगा। एसपी सिटी चंदन कुशवाहा के अनुसार दूसरे मद से भुगतान करने की बात सामने आई है, जिसका सत्यापन कराया जा रहा है।