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पटना मेट्रोपॉलिटन कमेटी की सुस्त पड़ी रफ्तार

पटना । अधिकारियों व कर्मचारियों की कमी झेल रही पटना मेट्रोपॉलिटन कमेटी की रफ्तार धी

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Jun 2017 03:05 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jun 2017 03:05 AM (IST)
पटना मेट्रोपॉलिटन कमेटी की सुस्त पड़ी रफ्तार
पटना मेट्रोपॉलिटन कमेटी की सुस्त पड़ी रफ्तार

पटना । अधिकारियों व कर्मचारियों की कमी झेल रही पटना मेट्रोपॉलिटन कमेटी की रफ्तार धीमी हो चुकी है। पटना मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी के सीईओ का पद भी प्रभार पर चल रहा है। अथॉरिटी के पास टाउन प्लानर, अभियंता भी गिने-चुने हैं। इसका असर अथॉरिटी के कार्यो पर सीधे दिख रहा है। अथॉरिटी के पास मई से ही नक्शे के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। मई के अंत में यह प्रक्रिया ऑनलाइन करनी थी। कर्मचारियों की कमी के कारण यह नहीं हो सका। अब तक अथॉरिटी के पास आधा दर्जन मकान व अपार्टमेंट के नक्शे के आवेदन पहुंचे थे। अब तक इसका निष्पादन नहीं हो सका है। बताया जाता है कि अथॉरिटी के पास एक भी अमीन नहीं है। आवास बोर्ड के अमीन के सहारे एक दिन कार्य लिया जाता है।

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पटना से फतुहा तक है जिम्मेवारी : मेट्रोपॉलिटन एरिया का क्षेत्रफल काफी बड़ा है। यह गंगा नदी से लेकर मसौढ़ी व नौबतपुर तक है। फतुहा एवं बिहटा को भी इसने अपने में समेट रखा है। इस एरिया के सभी विकास कार्यो की जिम्मेदारी पटना महानगर प्राधिकारी की है। इस एरिया में पड़ने वाले नगर निगम, नगर पंचायत और नगर परिषद को छोड़ कर शेष सभी एरिया में भवन, अपार्टमेंट आदि निर्माण को लेकर नक्शा अथॉरिटी को ही पास करना है। इससे लोगों का सीधे जुड़ाव हो गया है।

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बसने हैं पांच सेटेलाइट टाउन :

मेट्रोपॉलिटन एरिया में पांच सेटेलाइट टाउन बसाने हैं। ये नौबतपुर, बिहटा, फतुहा, खुसरूपुर तथा बेलदारीचक में करीब 150 हेक्टेयर भूमि पर बसाये जाने हैं। यह कवायद भी मंद गति से चल रही है। इन एरिया की मुख्य सड़क 80 मीटर चौड़ी होगी। शेष एरिया की 60 मीटर और 30 मीटर चौड़ी सड़कें होंगी। इन क्षेत्रों को शहर में परिवर्तित करने के लिए सामुदायिक भवन, एलआइजी एवं एमआइजी फ्लैट, अस्पताल, खेल मैदान, पार्क, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स तथा सिनेमा हॉल आदि का निर्माण किया जाएगा।

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ड्रोन सर्वे का भी मामला अटका :

पटना मेट्रोपॉलिटन एरिया का ड्रोन सर्वे एक जुलाई से संभावित था। लेकिन तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक का स्थानांतरण होने के कारण इसका जिम्मा प्रतिमा वर्मा को दिया गया। लेकिन उनका सेवाकालीन अनिवार्य प्रशिक्षण होने के कारण नगर विकास सह आवास विभाग के संयुक्त सचिव नरेंद्र कुमार सिंह को प्रभार दिया गया है। ऐसे में ड्रोन सर्वे को लेकर एजेंसी चयन नहीं हो पाया है।


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