पूर्ण शराबबंदी की अधिसूचना रद, सुप्रीम कोर्ट जा सकती है बिहार सरकार
पटना हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए बिहार में लागू शराबबंदी कानून के 5 अप्रैल की अधिसूचना को रद कर दिया है। कोर्ट ने इस कानून को असंवैधानिक करार देते हुए गलत करार दिया है।
पटना [वेब डेस्क]। पटना हाई कोर्ट ने एतिहासिक फैसला सुनाते हुए राज्य मे लागू शराबबंदी कानून के 5 अप्रैल की अधिसूचना को रद कर दिया है। राज्य में नई उत्पाद नीति के तहत राज्य के दोनों सदनों से सर्वसम्मति से पास कर दिया था। दोनोें सदनोें से पास होने के बाद राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने भी इसपर मुहर लगा दी थी।
राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। प्राप्त सूचना के अनुसार हाइकोर्ट का फैसला आने के साथ ही इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है। हालांकि, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि हाइकोर्ट का फैसला सरकार को अभी नहीं मिला है। फैसले की कॉपी मिलने के बाद इसका अध्ययन किया जायेगा. इसके बाद ही इस मामले पर कुछ भी स्पष्ट कहा जा सकता है।
राज्य सरकार ने 5 अप्रैल को पूरे राज्य में किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी शराब के थोक या खुदरा व्यापार और उपभोग पर रोक लगाने की अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना और उत्पाद कानून में किए गए संशोधन की वैधता को 15 अलग-अलग रिट याचिकाएं दायर कर चुनौती दी गई थी और लंबी बहस के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
चीफ जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी व जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की थी। इस दौरान आवेदकों और सरकार की ओर से दलीलें पेश की गई थीं।
कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश दलीलों पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए आदेश में कहा कि कोई भी कंपनी अपना व्यापार मुनाफे के लिए लगाती है, न कि परोपकार के लिए। स्थानीय बाजार को देखते हुए कंपनी उद्योग लगाती है। उद्योग में काम करने वाले कर्मियों की नौकरी जाने पर मुआवजा कौन देगा। इस बारे में सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। यहां तक कि वर्कर कहां जाएंगे, इस बारे में भी कुछ नहीं किया गया।
कोर्ट का कहना था कि राज्य में बियर फैक्ट्री लगाने के लिए एक ओर सरकार ने स्पेशल इंसेंटिव दी। राज्य में शराब की बिक्री के लिए सरकार ने लाइसेंस जारी किया। कोर्ट ने ताड़ी पर प्रतिबंध नहीं लगाए जाने पर कहा कि जब ताड़ी उत्पाद कानून के तहत है तो उस पर प्रतिबंध नहीं लगाना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
कोर्ट का कहना था कि विदेशी शराब व बियर पीने के बजाए ताड़ी पीने की छूट सरकार ने दी है, जो अपने आप में गैरकानूनी कार्रवाई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई व्यक्ति शराब की बोतल लेकर बिहार के रास्ते दूसरे राज्य में जा रहा है तो उसे भी पकड़ा जा रहा है। जबकि सरकार की अधिसूचना में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है। इस कारण भी अधिसूचना निरस्त होने लायक है।
अदालत ने शराब को लेकर सजा के प्रावधान पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सजा का प्रावधान काफी कठोर रखा गया है। सजा का प्रावधान अपराध को देखते हुए रखा जाता है, लेकिन दस वर्ष की सजा के साथ-साथ एक लाख से लेकर दस लाख तक का जुर्माना लगाना और घर से शराब की बरामदगी पर घर जब्त करने का प्रावधान किया जाना भी सही नहीं है।
अदालत ने इन सभी बिंदुओं पर विचार कर सरकार के संशोधन कानून को असंवैधानिक करार देते हुए 5 अप्रैल की अधिसूचना को निरस्त कर दिया।
हाईकोर्ट ने इस कानून के कई प्रावधान पर ऐतराज जताया था, जिसमें शराब मिलने पर पूरे परिवार को जेल भेजने जैसे कानून शामिल थे। बेहद सख्त माने जा रहे बिहार उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2016 में शराब (जहरीली) पीने से हुई मौत के मामले में फांसी का भी प्रावधान किया था।
पिछले महीने बिहार के गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी। तब राज्य में लागू इस सख्त मद्यनिषेध कानून की कई ओर से आलोचना हुई थी और विपक्ष का कहना था कि इस कानून की वजह से शराब के अवैध कारोबार को बढ़ावा मिला है।
इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने इस कानून के खिलाफ दायर याचिका पर इस साल मई में हुई सुनवाई में राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार शराबबंदी को लागू कराने के लिए स्टंटबाजी बंद करे। कोर्ट के साथ ही विपक्ष ने इसको लेकर कहा था कि नया शराबबंदी कानून किसी के हित में नहीं है।
तो वहीं राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने इसके जवाब में कहा था कि सरकार पूर्ण शराबबंदी लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए उसको जनमत भी मिला है। गौरतलब है कि बिहार में इस साल 1 अप्रैल से ही शराबबंदी लागू है। नीतीश कुमार ने चुनाव के दौरान राज्य में शराबबंदी लागू करने का वादा किया था और कहा कि जो कहता हूं उसे पूरा करता हूं।
कोर्ट ने कहा - नया शराबबंदी कानून गलत है
कोर्ट ने कहा है कि राज्य में अब देशी शराब पर प्रतिबंध रहेगी लेकिन विदेशी शराब पर प्रतिबंध नहीं रहेगी। नई शराबबदी कानून के लागू होने से पहले ही विवाद शुरु हो गया था। नया शराबबंदी कानून दो अक्टूबर से पूरे राज्य में लागू किया जाना था। उससे पहले ही इसे करारा झटका देते हुए दो दिनोें पहले इसे गलत करार दिया।
नीतीश ने कहा था नया कानून दो अक्टूबर से होगा लागू
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी कराने के लिए नई उत्पाद नीति को मंजूरी देते हुए कहा था कि, शराबबंदी को लेकर पहले बनाए गए कानून में कुछ खामियां थी, जिसे दूर करते हुए नया कानून बनाया गया है। जिसे 2 अक्टूबर से पूरे बिहार में लागू कर दिया जाएगा।
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उन्होंने कहा था कि, बिहार विधानमंडल इसे पहले ही पास कर चुका है। राज्यपाल की भी सहमति इस कानून को मिल चुकी है। गांधी जयंती के अवसर पर इसे लागू कर दिया जायेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि, कानून अपना काम करता है, कानून की अपनी सीमा है। लेकिन, सिर्फ कानून से ही शराबबंदी पर पूरी तरह सफलता नहीं पाई जा सकती, बल्कि इसके लिए जनचेतना भी जरूरी है।
शराबबंदी से जन-जागृति पैदा होगी
उन्होंने कहा कि, लोगों में शराबबंदी को लेकर जन-जागृति पैदा करने करने के लिए 2 अक्टूबर को पूरे बिहार में पंचायत स्तर पर सुबह में प्रभात फेरी और फिर संकल्प सभा का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शराबबंदी से बहुत से लोगों को बेचैनी हो रही है। सीएम ने कहा कि, शराब पिलाकर बच्चों से ईंट भट्ठे पर ईंट ढुलवाया जाता था। शराबबंदी के बाद गांव में शांति का माहौल है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि, एक करोड़ उन्नीस लाख लोगों ने शराब नहीं पीने के लिए शपथ पत्र पर दस्तखत किये हैं।
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'मैं जो कहता हूं, वही करता हूं'
इसके अलावा नीतीश कुमार ने कहा कि, भाजपा को माहौल बनाने में महारथ हासिल है। लोगों के राहत के लिए 2011 लोक सेवा का अधिकार कानून लागू किया गया। चौदह करोड़ लोगों ने लाभ भी उठाया। बिहार पहला राज्य है जहां लोक शिकायत निवारण अधिनियम लागू किया जायगा। सुशासन के क्षेत्र में बड़े-बड़े प्रयोग हो रहे हैं। पार्टी के सक्रिय सदस्यों के साथ सीधा संवाद स्थापित किया जायगा। साथ ही उन्होंने कहा कि, दो अक्टूबर से स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना शुरू किया जायगा। इस दौरान सीएम नीतीश कुमार ने योजनाओं के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि, 'मैं जो कहता हूं, वही करता हूं।'