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कृषि योजनाओं की 50 फीसद राशि खर्च नहीं

- पटना की तुलना में नालंदा में अधिक कार्य, कैमूर व भोजपुर फिसड्डी - कृषि यंत्र, बीज-खाद प

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Mar 2017 03:07 AM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 03:07 AM (IST)
कृषि योजनाओं की 50 फीसद राशि खर्च नहीं

- पटना की तुलना में नालंदा में अधिक कार्य, कैमूर व भोजपुर फिसड्डी

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- कृषि यंत्र, बीज-खाद पर अनुदान के पैसे का नहीं हो सका उपयोग

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जागरण संवाददाता, पटना : भले ही राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित हो, कृषि से जुड़ी विकास योजनाओं की बात करें तो क्रियान्वयन की स्थिति बहुत उत्साहजनक नहीं दिखती। किसानों को खाद, बीज, दवा और यंत्रों पर अनुदान योजना का ही उदाहरण लें। वर्ष 2016-17 के लिए इस योजना के लिए आवंटित धन में अबतक करीब 50 फीसद का ही उपयोग हो सका है।

ज्ञात हो कि चालू वित्तीय वर्ष में कृषि विकास मद में सरकार ने पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, कैमूर और रोहतास जिले के लिए लगभग 111.15 करोड़ आवंटित किए थे। अगर वित्तीय वर्ष के अंतिम माह की रिपोर्ट (20 मार्च को जारी) पर गौर करें तो यह निराशाजनक उपयोगिता की ओर इशारा कर रही है। कुल आवंटन में 58.43 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं।

पटना जिले को कृषि विकास के लिए आवंटित 25.11 करोड़ रुपये में 6.82 करोड़ किसानों को यंत्र खरीद के लिए थे। यांत्रिकीकरण योजना में मात्र 1.50 करोड़ का उपयोग हो सका। शेष करीब 5.32 करोड़ खर्च ही नहीं हुए। अन्य योजनाओं के लिए 18.29 करोड़ रुपये का आवंटन था। इनमें मात्र 12.39 करोड़ का ही उपयोग हो सका।

कृषि विभाग की ओर से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना, कृषि यांत्रिकीकरण, कृषि विकास, प्रशिक्षण सहित अन्य योजनाओं के लिए आवंटित राशि में भोजपुर जिले में मात्र 43 फीसद और कैमूर जिले में 29 प्रतिशत का उपयोग हो सका है। पटना प्रमंडल के छह जिलों की बात करें तो राजधानी की तुलना में नालंदा की स्थिति बेहतर रही है। वहीं भोजपुर और कैमूर जिले कृषि योजनाओं के कार्यान्वयन में फिसड्डी साबित हुए हैं।

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: आवंटन और खर्च करोड़ रुपये में :

जिला - आवंटन - खर्च - प्रतिशत

पटना - 25.11 - 13.89 - 56

नालंदा - 27.18 - 18.26 - 67

रोहतास - 18.17 - 9.58 - 53

बक्सर - 10.19 - 5.18 - 51

भोजपुर - 17.13 - 7.67 - 43

कैमूर - 13.37 - 3.85 - 29

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: कोट :

कृषि विकास योजनाओं का लाभ सीधे किसानों के बैंक खाते में भुगतान करने की व्यवस्था लागू हुई है। किसान पहले संपूर्ण पूंजी लगाने से कतराते हैं। वित्तीय वर्ष के अंत तक अधिकतम राशि उपयोग करने का निर्देश दिया गया है।

- उमेश चौधरी, संयुक्त निदेशक कृषि

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